
Parking New Rules 2025 के तहत भारत सरकार ने शहरी क्षेत्रों में बढ़ते ट्रैफिक और अव्यवस्थित पार्किंग को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। इन नए नियमों के तहत अगर कोई नागरिक अपने घर के बाहर सार्वजनिक स्थान पर वाहन खड़ा करता है, तो उसे इसके लिए निर्धारित शुल्क चुकाना होगा। यह नियम खासतौर से महानगरों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में प्रभावी रूप से लागू किए जा रहे हैं।
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शुल्क की सीमा और नगर निगमों की भूमिका
नियमों के अनुसार, सार्वजनिक सड़कों या कॉलोनी की गली में निजी वाहन पार्क करने पर ₹10 से ₹50 प्रति घंटे तक का शुल्क वसूला जाएगा। यह राशि क्षेत्र की ट्रैफिक स्थिति और नगर निगम की मूल्य निर्धारण नीति पर आधारित होगी। खासकर लखनऊ, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में भीड़ और सड़क स्थान की कमी को देखते हुए यह शुल्क अधिक हो सकता है। नगर निकायों को यह अधिकार दिया गया है कि वे साल में अधिकतम पांच दिन पार्किंग शुल्क माफ कर सकते हैं—जैसे कि राष्ट्रीय पर्व, धार्मिक आयोजनों या विशेष स्थानीय कार्यक्रमों के अवसर पर।
पार्किंग उल्लंघन पर कार्रवाई और दंड
यदि कोई वाहन मालिक निर्धारित शुल्क का भुगतान किए बिना वाहन पार्क करता है, तो उस स्थिति में स्थानीय प्रशासन को उसे जुर्माना लगाने या वाहन टो करने का अधिकार होगा। आमतौर पर पहले वाहन मालिक को एक टेक्स्ट मैसेज या नोटिस के माध्यम से चेतावनी दी जाएगी, जिससे उसे समय रहते वाहन हटाने का अवसर मिल सके। इसके बावजूद नियमों की अवहेलना करने पर दंड की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
आवासीय सोसाइटी में भी नियम सख्त हुए
Housing Society के लिए भी पार्किंग नियमों को स्पष्ट कर दिया गया है। नियमों के अनुसार, प्रत्येक सोसाइटी को अपने कुल क्षेत्रफल का कम से कम 5 प्रतिशत भाग आगंतुक पार्किंग के लिए आरक्षित करना अनिवार्य होगा। वहीं, प्रत्येक फ्लैट मालिक को तय संख्या में पार्किंग स्लॉट आवंटित किए जाएंगे। अगर कोई निवासी अतिरिक्त वाहन रखता है तो उसे अलग से पार्किंग शुल्क देना होगा। यह कदम अव्यवस्थित पार्किंग को रोकने और सोसाइटी में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
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सरकार का उद्देश्य और शहरी प्रबंधन
Parking New Rules 2025 लागू करने के पीछे सरकार का स्पष्ट उद्देश्य यह है कि शहरी यातायात को संतुलित किया जा सके और सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग रोका जा सके। घर के बाहर गाड़ियों की लाइनें ट्रैफिक जाम, आपातकालीन वाहनों की बाधा और नागरिक असुविधा का कारण बनती हैं। इन नियमों से न केवल यातायात सुधरेगा बल्कि नगर निगमों की आय भी बढ़ेगी, जिसे इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार में लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट और वैकल्पिक परिवहन साधनों की ओर प्रेरित किया जाएगा।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
स्थानीय निकायों को इन नियमों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रत्येक शहर के नगर निगम को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र की भीड़भाड़ और संसाधनों के आधार पर शुल्क तय करे। साथ ही, नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम, CCTV सर्विलांस और चालान प्रबंधन प्रणाली का सहारा लिया जाएगा।
नए पार्किंग नियमों पर नागरिकों की प्रतिक्रिया
Parking New Rules 2025 को लेकर नागरिकों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखी जा रही है। जहां एक ओर कुछ लोग इसे जरूरी और व्यवस्थित ट्रैफिक का उपाय मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोग इसे आम जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ मान रहे हैं। खासकर उन क्षेत्रों में जहां पार्किंग की अलग से व्यवस्था नहीं है, वहां लोगों को परेशानी हो सकती है। हालांकि, प्रशासन का मानना है कि यह शुरुआती असुविधा एक दीर्घकालिक समाधान की दिशा में कदम है।
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