
आजकल सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है कि बेकिंग सोडा (Baking Soda) से कैंसर (Cancer) का इलाज संभव है। इस दावे को लेकर कई वीडियो, ब्लॉग और व्हाट्सऐप फॉरवर्ड्स में बताया जा रहा है कि बेकिंग सोडा शरीर के पीएच स्तर को संतुलित कर कैंसर की कोशिकाओं को खत्म कर सकता है। लेकिन इस वायरल दावे की सच्चाई क्या है? क्या यह वाकई एक कारगर इलाज है या फिर सिर्फ एक भ्रम?
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क्या है वायरल दावा?
वायरल पोस्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि बेकिंग सोडा, जिसे सोडियम बाइकार्बोनेट (Sodium Bicarbonate) के नाम से भी जाना जाता है, शरीर में अम्लीयता (Acidity) को कम करता है और कैंसर की कोशिकाएं अम्लीय वातावरण में ही पनपती हैं। इसलिए अगर शरीर का पीएच स्तर बढ़ा दिया जाए, यानी उसे क्षारीय (Alkaline) बना दिया जाए, तो कैंसर कोशिकाएं जीवित नहीं रह सकतीं। इसी आधार पर बेकिंग सोडा को प्राकृतिक कैंसर ट्रीटमेंट (Natural Cancer Treatment) के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के अनुसार, कैंसर एक जटिल बीमारी है जिसका इलाज केवल किसी एक तत्व या घरेलू उपाय से संभव नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, बेकिंग सोडा शरीर के पीएच स्तर को थोड़े समय के लिए जरूर प्रभावित कर सकता है, लेकिन इससे कैंसर की कोशिकाएं खत्म नहीं होतीं।
ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अनुराग मेहता के अनुसार, “बेकिंग सोडा को लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, वे वैज्ञानिक आधार से कोसों दूर हैं। कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन और हाल के वर्षों में इम्यूनोथेरेपी जैसे आधुनिक इलाज का सहारा लिया जाता है। बेकिंग सोडा को उपचार मानना खतरे से खाली नहीं है।”
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शरीर का पीएच स्तर और कैंसर
मानव शरीर का सामान्य पीएच स्तर 7.35 से 7.45 के बीच होता है, जो हल्का क्षारीय होता है। कैंसर कोशिकाएं शरीर में कहीं भी विकसित हो सकती हैं और उनका वातावरण अम्लीय हो यह आवश्यक नहीं। यह धारणा कि कैंसर केवल अम्लीय वातावरण में पनपता है, विज्ञान की दृष्टि से भ्रामक है। शरीर का पीएच स्तर बहुत कठोर नियंत्रण में रहता है और उसे भोजन या घरेलू उपायों से बहुत अधिक बदला नहीं जा सकता।
क्या बेकिंग सोडा नुकसानदायक हो सकता है?
हां, अत्यधिक मात्रा में बेकिंग सोडा का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे शरीर में सोडियम का स्तर बढ़ सकता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर, सूजन, मितली, पेट फूलना, उल्टी और किडनी पर दबाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ गंभीर मामलों में यह स्थिति मेटाबोलिक एल्कलोसिस में बदल सकती है, जो जानलेवा हो सकती है।
क्यों फैल रही हैं ऐसी अफवाहें?
सोशल मीडिया पर कई बार ‘नेचुरल क्योर’ या ‘घरेलू नुस्खों’ को लेकर लोगों की उत्सुकता बढ़ जाती है। इसका फायदा उठाकर कई यूट्यूब चैनल, वेबसाइट्स और उत्पाद बेचने वाले लोग झूठे या अधकचरे वैज्ञानिक दावों को फैलाते हैं। यह न सिर्फ गलत जानकारी है, बल्कि कई मामलों में मरीजों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है अगर वे सही इलाज से बचें।
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चिकित्सा संस्थाओं की चेतावनी
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) और नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (NCI) ने बार-बार कहा है कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए प्रमाणित और क्लीनिकली टेस्टेड तरीकों का ही उपयोग करना चाहिए। बेकिंग सोडा जैसे उपायों को केवल घरेलू प्रयोग के लिए रखा जाना चाहिए और उन्हें मुख्य इलाज के रूप में नहीं अपनाना चाहिए।