
जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना जितना जरूरी है, उतना ही खर्चीला भी है। यदि आप सोच रहे हैं कि भारत में ₹1000-₹2000 देकर लाइसेंस बनवाना भारी पड़ता है, तो जर्मनी की यह व्यवस्था आपको हैरान कर सकती है। यहां कार चलाने का लाइसेंस लेने के लिए किसी को ₹2.38 लाख से ₹3.34 लाख (यानी €2,500 से €3,500 के बीच) तक चुकाने पड़ सकते हैं। जर्मनी में हर साल हजारों युवा इस लंबी और महंगी प्रक्रिया से गुजरते हैं, ताकि उन्हें वाहन चलाने की कानूनी अनुमति मिल सके।
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प्रोफेशनल ट्रेनिंग और नियमों की सख्ती
जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि कोई भी बिना पूरी तैयारी और व्यवहारिक जानकारी के सड़क पर न आए। इसीलिए, हर उम्मीदवार को एक मान्यता प्राप्त ड्राइविंग स्कूल से प्रशिक्षित होना जरूरी है। यह कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि गंभीर प्रशिक्षण होता है जिसमें क्लासरूम पढ़ाई के साथ-साथ रियल-रोड ड्राइविंग शामिल होती है। खास बात यह है कि आप अपने माता-पिता या दोस्तों से ड्राइविंग नहीं सीख सकते—यह केवल प्रोफेशनल इंस्ट्रक्टर के ज़रिए ही संभव है।
लाइसेंस की लागत किन-किन चीज़ों में बंटती है
इस प्रक्रिया की लागत कई चरणों में बंटी होती है। शुरुआत होती है पहले सहायता कोर्स (First Aid Course) और आंखों की जांच (Eye Test) से, जिसकी कीमत ही ₹4,000-₹7,000 तक जाती है। इसके बाद आता है थ्योरी क्लासेज़ और परीक्षा, जिसके लिए पढ़ाई की किताबें, ऐप और टेस्ट फीस मिलाकर ₹20,000 तक खर्च हो सकते हैं। लेकिन असली खर्च आता है प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और फाइनल ड्राइविंग टेस्ट में, जहां एक-एक लेसन की कीमत ₹4,500 से ₹6,000 तक होती है और कुल मिलाकर 30 से ज्यादा लेसन लेने पड़ सकते हैं।
ड्राइविंग टेस्ट में फेल होना है आम, लेकिन महंगा
अगर आप ड्राइविंग टेस्ट में फेल हो जाते हैं तो न सिर्फ दोबारा फीस देनी होती है, बल्कि अतिरिक्त क्लासेस भी अनिवार्य हो जाती हैं। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 40-45 प्रतिशत लोग पहली बार में ही प्रैक्टिकल टेस्ट में फेल हो जाते हैं। इसका मतलब ये है कि लाइसेंस प्राप्त करना आसान नहीं बल्कि बेहद चुनौतीपूर्ण और महंगा काम है।
सड़क सुरक्षा के लिए जर्मनी की सख्ती
जर्मनी में यह कठोर प्रणाली इसलिए है क्योंकि वे सड़क सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करते। यहां का कानून मानता है कि जब कोई वाहन चला रहा हो, तो उसे हर परिस्थिति से निपटने की पूरी ट्रेनिंग होनी चाहिए। यही वजह है कि सड़क पर नए ड्राइवर भेजने से पहले, उन्हें हर परिस्थिति का प्रशिक्षण दिया जाता है—चाहे वह रात का समय हो, हाईवे (Autobahn) हो या फिर ग्रामीण रास्ते।
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युवाओं के लिए क्यों है ये एक आर्थिक चुनौती
कई जर्मन युवाओं के लिए इतनी भारी फीस जुटाना आसान नहीं होता। कुछ लोग इसके लिए पार्ट टाइम जॉब करते हैं, कुछ बैंक से एजुकेशन लोन लेते हैं तो कुछ लोग कई महीनों तक पैसे जमा करते हैं। जर्मनी के कुछ क्षेत्रों में तो ये लागत €5,000 तक भी पहुंच सकती है, यानी लगभग ₹4.5 लाख! यह पूरी प्रक्रिया कई महीनों तक चलती है और इसमें हर कदम रिकॉर्ड और प्रमाणित किया जाता है।
क्या इतनी सख्ती और खर्च सही है?
फिर सवाल उठता है—क्या यह सब वाकई जरूरी है? जब आप देखें कि जर्मनी में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भारत की तुलना में बेहद कम है, तो इसका जवाब “हां” में आता है। यहां हर ड्राइवर को ट्रैफिक नियमों की गहरी जानकारी होती है और उन्हें हर परिस्थिति में गाड़ी चलाने की प्रैक्टिस करवाई जाती है।
विदेशी नागरिकों के लिए क्या है नियम
अगर आप भारत में रहते हुए कभी सोचें कि जर्मनी जाकर वहां का लाइसेंस प्राप्त करना आसान होगा, तो दो बार सोचिएगा। वहां पहले से मौजूद विदेशी ड्राइविंग लाइसेंस भी एक सीमित अवधि तक ही मान्य होता है, उसके बाद आपको जर्मन लाइसेंस प्राप्त करना ही पड़ता है।
एक लाइसेंस के पीछे की असली कीमत
इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद जब कोई व्यक्ति लाइसेंस प्राप्त करता है, तो उसमें आत्मविश्वास और जिम्मेदारी दोनों होती हैं। और शायद इसी कारण जर्मनी की सड़कें सुरक्षित हैं, वहां ट्रैफिक का अनुशासन दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है।
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