रेंट पर रहते हैं? जानिए मकान मालिक एक साल में कितना बढ़ा सकता है किराया – ये कानूनी नियम जानें

भारत में रेंटल हाउसिंग के नियम बदल रहे हैं! क्या आप जानते हैं कि आपका मकान मालिक हर साल कितनी बार और कितनी रकम तक किराया बढ़ा सकता है? Delhi Rent Control Act, Maharashtra Rent Control जैसे कानूनी प्रावधान आपके राइट्स को बचाते हैं। जानिए वो जरूरी बातें जो आपके रेंट एग्रीमेंट से जुड़ी हैं

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रेंट पर रहते हैं? जानिए मकान मालिक एक साल में कितना बढ़ा सकता है किराया – ये कानूनी नियम जानें
रेंट पर रहते हैं? जानिए मकान मालिक एक साल में कितना बढ़ा सकता है किराया – ये कानूनी नियम जानें

रेंट पर रहने वाले किरायेदारों के लिए एक अहम सवाल होता है कि मकान मालिक (Landlord) एक साल में कितना किराया बढ़ा सकता है? भारत में किराया वृद्धि से जुड़े कुछ खास नियम-कायदे हैं जो मकान मालिक और किरायेदार दोनों के लिए जानना जरूरी है। अगर आप किराए के मकान में रह रहे हैं या मकान मालिक हैं, तो ये जानकारी आपके काम आ सकती है।

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रेंट एग्रीमेंट और किराया वृद्धि की कानूनी सीमा

भारत में ज्यादातर राज्यों में रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) के तहत ही किराया तय होता है और उसका रिन्यूअल (Renewal) या किराया वृद्धि उसी समझौते पर आधारित होती है। दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में कई बार रेंटल एग्रीमेंट एक साल से लेकर 11 महीनों तक के लिए होते हैं, जिन्हें समय-समय पर रिन्यू किया जाता है।

कानून के अनुसार, अगर रेंट एग्रीमेंट में किराया वृद्धि की कोई शर्त नहीं है, तो मकान मालिक मनमाने ढंग से किराया नहीं बढ़ा सकता। आमतौर पर किराया वृद्धि के लिए दोनों पक्षों की सहमति जरूरी होती है। लेकिन, कुछ राज्यों में Rent Control Act या स्थानीय कानूनों के तहत किराया वृद्धि की अधिकतम सीमा तय होती है।

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दिल्ली रेंट कंट्रोल एक्ट और किराया वृद्धि का नियम

दिल्ली में Delhi Rent Control Act, 1958 के तहत किराया वृद्धि का स्पष्ट नियम है। अगर किसी संपत्ति का मासिक किराया 3,500 रुपये से कम है, तो मकान मालिक हर साल अधिकतम 10% तक किराया बढ़ा सकता है। हालांकि, यदि किराया 3,500 रुपये से ज्यादा है, तो मकान मालिक और किरायेदार के बीच आपसी सहमति से किराया बढ़ाया जा सकता है।

महाराष्ट्र में किराया वृद्धि की प्रक्रिया

महाराष्ट्र में Bombay Rent Control Act के तहत मकान मालिक हर साल अधिकतम 4% से 10% तक किराया बढ़ा सकते हैं, लेकिन यह वृद्धि एग्रीमेंट की शर्तों पर भी निर्भर करती है। नई Mumbai Rent Control नीति के तहत, बाजार दर और प्रॉपर्टी की लोकेशन के आधार पर वृद्धि तय की जाती है।

अन्य राज्यों में क्या हैं नियम?

उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी किराया वृद्धि के लिए कानून बने हैं। कई राज्यों में Rent Control Act या स्थानीय नगर निगम नियम लागू होते हैं, जिनके तहत हर साल अधिकतम वृद्धि की सीमा तय होती है। आमतौर पर यह वृद्धि 4% से लेकर 10% तक हो सकती है।

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क्या मकान मालिक मनमर्जी से किराया बढ़ा सकते हैं?

किराया वृद्धि पर कानून का उद्देश्य किरायेदारों को बेवजह आर्थिक बोझ से बचाना है। अगर रेंट एग्रीमेंट में वृद्धि का नियम तय नहीं है, तो मकान मालिक किरायेदार की सहमति के बिना किराया नहीं बढ़ा सकता। यदि मकान मालिक जबरदस्ती किराया बढ़ाता है, तो किरायेदार कानूनी सहायता ले सकते हैं।

रेंट एग्रीमेंट में वृद्धि की शर्त क्यों जरूरी है?

रेंट एग्रीमेंट में किराया वृद्धि की शर्त लिखित रूप में तय करने से दोनों पक्षों के बीच विवाद की संभावना कम हो जाती है। साथ ही, इससे यह स्पष्ट होता है कि हर साल कितनी वृद्धि होगी और उसकी तिथि क्या होगी। Rent Agreement में इसे स्पष्ट करना जरूरी है ताकि भविष्य में कोई कानूनी समस्या न हो।

क्या मकान मालिक साल में एक से ज्यादा बार किराया बढ़ा सकता है?

किराया वृद्धि आमतौर पर साल में एक बार ही की जाती है। अगर मकान मालिक साल में एक से ज्यादा बार किराया बढ़ाता है, तो यह कानूनन गलत है। किरायेदार ऐसी स्थिति में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और कानूनी सहायता ले सकते हैं।

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क्या बिना एग्रीमेंट के किराया बढ़ाना सही है?

कई बार लोग बिना लिखित एग्रीमेंट (Oral Agreement) के ही किराए पर रहते हैं। ऐसी स्थिति में किराया वृद्धि पर विवाद होना आम बात है। बिना लिखित एग्रीमेंट के मकान मालिक के पास कोई ठोस कानूनी आधार नहीं होता कि वह किराया बढ़ा सके। इसलिए, हमेशा लिखित रेंट एग्रीमेंट बनवाना बेहतर होता है।

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