MP के किसानों के लिए खुशखबरी! अब मेन रोड पर मिलेगा प्लॉट – रजिस्ट्री शुरू होने की तारीख देखें

MP के किसानों के लिए आई सुनहरी खबर – अब मेन रोड पर मिलेंगे रिहायशी प्लॉट, वो भी रजिस्ट्री की सुविधा के साथ! सरकार की नई पहल से गांव के लोग भी बना सकेंगे शहर जैसा आशियाना। जानिए रजिस्ट्री शुरू होने की तारीख, लोकेशन और प्रक्रिया – पूरी जानकारी सिर्फ एक क्लिक दूर है!

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MP के किसानों के लिए खुशखबरी! अब मेन रोड पर मिलेगा प्लॉट – रजिस्ट्री शुरू होने की तारीख देखें
MP के किसानों के लिए खुशखबरी! अब मेन रोड पर मिलेगा प्लॉट – रजिस्ट्री शुरू होने की तारीख देखें

MP में किसानों की चांदी की कहावत अब हकीकत में बदल रही है। मध्यप्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना इंदौर-पिठमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर (Indore-Pithampur Economic Corridor) तेजी पकड़ रही है। इस योजना के तहत किसानों से ली जा रही जमीन के बदले उन्हें उसी गांव में विकसित भूखंड (Developed Plots) दिए जाएंगे, वह भी मुख्य सड़क (Main Road) पर। इस खबर ने किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है और योजना को लेकर लोगों की रुचि तेजी से बढ़ रही है।

15 जुलाई से शुरू होगी रजिस्ट्री की प्रक्रिया

MPIDC यानी मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम (Madhya Pradesh Industrial Development Corporation) ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन किसानों से जमीन ली जाएगी, उन्हें उसी गांव में 60% विकसित प्लॉट दिए जाएंगे। इतना ही नहीं, 15 जुलाई 2025 से रजिस्ट्री की प्रक्रिया (Registry Process) भी शुरू कर दी जाएगी। इससे पहले अधिकतम 50% भूखंड ही दिए जाते थे, लेकिन इस बार किसानों को बड़ा लाभ मिल रहा है।

कुल 2125 करोड़ की लागत से बन रहा है यह प्रोजेक्ट

इंदौर को सीधे पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र (Pithampur Industrial Area) से जोड़ने वाला यह कॉरिडोर लगभग 19.4 किलोमीटर लंबा होगा। इस परियोजना की कुल लागत 2125 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। इसके लिए लगभग 1290 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी। इसमें टीही, कन्नड़, भैसलाय, सोनवाय, डेहरी, बागोदा जैसे कई गांव शामिल किए गए हैं।

6 बीघा से अधिक जमीन देने वालों को मेन रोड पर प्लॉट

MPIDC अधिकारियों के अनुसार, जिन किसानों ने 6 बीघा या उससे अधिक भूमि दी है, उन्हें मुख्य सड़क पर विकसित प्लॉट दिए जाएंगे। वहीं, जिनकी भूमि इससे कम है, उन्हें मुख्य सड़क की अंदरूनी लाइन पर भूखंड मिलेंगे। हालांकि, अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि अंदरूनी सड़कों को भी चौड़ा और पूर्ण रूप से विकसित किया जाएगा ताकि किसानों को कोई असुविधा न हो।

कलेक्टर की सख्ती के बाद आई तेजी

हाल ही में प्रोजेक्ट की धीमी प्रगति को लेकर इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह (Collector Ashish Singh) ने अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली थी। इस बैठक में MPIDC के कार्यकारी संचालक हिमांशु प्रजापति समेत जिले के एसडीएम और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। कलेक्टर ने प्रोजेक्ट की गति को लेकर नाराजगी जताई और सभी को काम में तेजी लाने के निर्देश दिए।

अब तक 100 हेक्टेयर जमीन पर किसानों की सहमति

बैठक में बताया गया कि अब तक 100 हेक्टेयर भूमि पर किसानों की सहमति प्राप्त हो चुकी है। यह आंकड़ा भले ही कम लगे, लेकिन इसे एक सकारात्मक शुरुआत माना जा रहा है, क्योंकि पहले की अपेक्षा अब किसानों में इस योजना को लेकर रुचि बढ़ी है।

किसानों की शंकाओं को दूर करना जरूरी

बैठक में दोनों एसडीएम से पूछा गया कि क्या उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है और किसानों की समस्याएं जानी हैं। जवाब में अधिकारियों ने बताया कि कई किसानों के मन में सवाल हैं – जैसे कि प्लॉट की लोकेशन क्या होगी, रजिस्ट्री कब होगी, और पूरी योजना कब पूरी होगी? कुछ किसान यह चिंता भी जता रहे हैं कि यदि योजना में देरी हुई तो उन्हें खेती से भी हाथ धोना पड़ सकता है। प्रशासन ने इन शंकाओं को गंभीरता से लेने की बात कही है।

क्यों है यह योजना किसानों के लिए फायदेमंद?

इस प्रोजेक्ट को खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इससे न केवल किसानों को 60% विकसित भूखंड मिल रहे हैं, बल्कि उन्हें अपने ही गांव में बसाया जा रहा है। यह पहले की योजनाओं की तुलना में कहीं बेहतर सौदा है। साथ ही, जमीन देने के बदले मुख्य सड़क पर कमर्शियल वैल्यू (Commercial Value) वाले प्लॉट मिलना, किसानों के लिए भविष्य में आर्थिक लाभ का बड़ा जरिया बन सकता है।

इकोनॉमिक कॉरिडोर से क्षेत्र में आएगी औद्योगिक क्रांति

इंदौर-पिठमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर की सफलता से इस क्षेत्र में निवेश और उद्योगों की आमद बढ़ेगी। इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे और गांवों में शहरी सुविधाएं तेजी से पहुंचेंगी। साथ ही, यह कॉरिडोर राज्य की औद्योगिक क्षमता को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

आने वाले दिनों में बढ़ेगी जमीन की मांग

सरकारी अधिकारियों का मानना है कि जैसे-जैसे योजना के लाभ स्पष्ट होंगे, वैसे-वैसे और अधिक किसान अपनी भूमि देने के लिए आगे आएंगे। इससे न केवल सरकार को योजना को गति देने में मदद मिलेगी, बल्कि किसानों को भी भविष्य में बड़ा मुनाफा होगा।

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