
जब कोई आतंकी हमला (Terror Attack) होता है, तो उसके न केवल राजनीतिक और सैन्य प्रभाव होते हैं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन पर भी गंभीर असर पड़ता है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) ने एक बार फिर इस सवाल को जन्म दिया है कि ऐसे हादसों में जान जाने पर क्या जीवन बीमा (Life Insurance) के तहत मुआवजा मिलता है? बीमा धारकों और उनके परिजनों के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आतंकवादी हमलों में जान जाने की स्थिति में बीमा कंपनियां क्या कवरेज देती हैं और किन नियमों के तहत मुआवजे की राशि दी जाती है।
आतंकवादी हमले में मृत्यु पर मिलता है जीवन बीमा का लाभ
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी-IRDA के दिशा-निर्देशों के अनुसार, जीवन बीमा पॉलिसी (Life Insurance Policy) के अंतर्गत अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु आतंकवादी हमले (Terror Attack) के कारण होती है, तो उनके परिजनों को बीमा की पूरी राशि मिलती है। इसका मतलब यह है कि पहलगाम जैसे हमले में अगर किसी बीमाधारक की जान जाती है, तो उनके नाम पर ली गई जीवन बीमा पॉलिसी के तहत नामित व्यक्ति को क्लेम राशि दी जाएगी।
यह नियम सभी प्रमुख बीमा कंपनियों की स्टैंडर्ड पॉलिसियों पर लागू होता है। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि पॉलिसी एक्टिव हो और उसमें सभी किस्तों का भुगतान समय पर किया गया हो।
बीमा पॉलिसी लेते समय नियमों को ध्यान से पढ़ना जरूरी
बीमा लेते समय अक्सर लोग नियमों और शर्तों (Terms and Conditions) को अनदेखा कर देते हैं, जो कि आगे चलकर दिक्कत का कारण बन सकता है। हर बीमा पॉलिसी में विशेष स्थितियों के लिए अलग-अलग कवरेज दिए जाते हैं। कई मामलों में, कंपनियां युद्ध जैसी स्थितियों (War-like Situations) या आतंकी हमले (Terrorist Attack) को अपवाद (Exclusion) के रूप में शामिल करती हैं, लेकिन IRDA के नियमानुसार यदि यह स्पष्ट रूप से अपवाद में नहीं लिखा गया है, तो ऐसी घटनाओं में मृत्यु होने पर बीमा का क्लेम वैध माना जाएगा।
सिर्फ जीवन बीमा ही नहीं, संपत्ति बीमा भी जरूरी
आतंकी हमलों में केवल इंसानी जान ही नहीं जाती, बल्कि घर, वाहन और अन्य संपत्ति को भी नुकसान होता है। पहलगाम हमले के बाद कई लोगों की निजी संपत्ति जैसे कारें, घर और दुकानें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। ऐसे में अगर आपने अपनी संपत्ति का बीमा (Property Insurance) करवाया है, तो आप नुकसान का क्लेम कर सकते हैं।
हालांकि, अधिकांश लोग केवल जीवन बीमा लेते हैं और अपने घर या वाहन का बीमा नहीं करवाते, जो कि जोखिमपूर्ण होता है। आतंकी हमलों में जब संपत्तियों का नुकसान होता है तो बीमा कंपनी उस नुकसान की भरपाई करती है, बशर्ते कि आपकी पॉलिसी में आतंकवाद कवरेज (Terrorism Coverage) शामिल हो।
सामान्य बीमा बनाम आतंकी हमले में दुर्घटना कवर
यह समझना भी जरूरी है कि सामान्य दुर्घटना बीमा (Accident Insurance) और आतंकी हमले में मृत्यु का कवरेज अलग-अलग होता है। अधिकतर दुर्घटना बीमा पॉलिसियों में युद्ध या आतंकवादी घटनाओं को अपवाद में रखा गया होता है। इसलिए, अगर आप चाहते हैं कि आपकी पॉलिसी आतंकी हमलों को भी कवर करे, तो आपको विशेष आतंकवाद बीमा पॉलिसी (Terrorism Insurance Policy) लेनी चाहिए या अपने जीवन बीमा प्लान में इसका विस्तार कराना चाहिए।
बीमा कंपनियों की भूमिका और नया रुझान
पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते वैश्विक और सीमा पार खतरों को देखते हुए बीमा कंपनियों ने विशेष तरह की पॉलिसियों लॉन्च की हैं, जो कि आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई हैं। IRDA ने भी बीमा कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे स्पष्ट रूप से बताएं कि पॉलिसी किन स्थितियों को कवर करती है और किन्हें नहीं।
आज कई कंपनियां “टेरर कवरेज” के साथ बीमा योजनाएं दे रही हैं, जिनमें जीवन बीमा, संपत्ति बीमा और व्यवसायिक बीमा भी शामिल है। इन पॉलिसियों में पाकिस्तान या किसी भी अन्य राष्ट्र द्वारा किए गए हमलों में जान या माल की हानि होने पर क्लेम की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होती है।
बीमा क्लेम के लिए आवश्यक दस्तावेज
अगर किसी की मृत्यु आतंकी हमले में होती है, तो बीमा क्लेम के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र (Death Certificate), एफआईआर (FIR), पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस अथॉरिटी द्वारा पुष्टि पत्र आवश्यक होते हैं। इसके साथ ही पॉलिसी दस्तावेज और पहचान पत्र भी प्रस्तुत करना होता है। अगर सबकुछ नियमों के अनुसार होता है, तो बीमा राशि जल्दी ही नामित व्यक्ति को मिल जाती है।
सतर्कता ही सुरक्षा की कुंजी
कुल मिलाकर, अगर आपकी बीमा पॉलिसी में आतंकवाद कवर शामिल है और पॉलिसी एक्टिव है, तो पहलगाम जैसे आतंकी हमले में जान जाने पर बीमा का पैसा जरूर मिलता है। लेकिन यह भी जरूरी है कि बीमा लेते समय आप हर नियम को बारीकी से पढ़ें और समझें। केवल जीवन बीमा नहीं, संपत्ति बीमा और व्यवसायिक बीमा भी आज के समय में आवश्यक बन चुका है। जागरूक और सतर्क रहकर ही आप ऐसे अप्रत्याशित खतरों के बाद भी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।