बलूच लड़ाकों की भारत से भावुक अपील: “बस ये कर दीजिए, फिर हम PAK से आज़ाद हो जाएंगे!”

पाकिस्तान के ज़ुल्मों से त्रस्त बलूच लड़ाकों ने भारत से दिल छू लेने वाली अपील की है। उनका कहना है कि भारत अगर सिर्फ एक कदम बढ़ा दे, तो बलूचिस्तान जल्द ही पाकिस्तान से अलग एक आज़ाद राष्ट्र बन सकता है। जानिए पूरी कहानी और इसके पीछे का सच

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बलूच लड़ाकों की भारत से भावुक अपील: "बस ये कर दीजिए, फिर हम PAK से आज़ाद हो जाएंगे!"
बलूच लड़ाकों की भारत से भावुक अपील: “बस ये कर दीजिए, फिर हम PAK से आज़ाद हो जाएंगे!”

बलूचिस्तान (Balochistan) में दशकों से पाकिस्तान (Pakistan) के अत्याचारों के खिलाफ चल रही आज़ादी की लड़ाई ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। बलूच स्वतंत्रता सेनानियों (Baloch Freedom Fighters) ने भारत (India) से सीधे और भावुक स्वर में अपील की है कि वह उनकी आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाए। बलूच नेताओं का कहना है कि भारत यदि कूटनीतिक और नैतिक समर्थन दे दे, तो वे पाकिस्तान से आज़ादी की निर्णायक लड़ाई जीत सकते हैं।

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क्या है बलूचिस्तान की मांग?

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, लेकिन वहां के लोगों को ना तो अधिकार मिला है और ना ही विकास। बलूच राष्ट्रवादी संगठन लंबे समय से स्वतंत्र बलूचिस्तान (Free Balochistan) की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पाकिस्तान सेना बलूच लोगों का उत्पीड़न कर रही है, उनकी जमीनों को हथिया रही है और उनके संसाधनों का शोषण कर रही है।

भारत से क्यों है उम्मीद?

हाल ही में बलूच नेता गुलाम बलोच और अन्य वरिष्ठ कमांडरों ने एक बयान जारी कर भारत से अपील की है कि वह बलूचिस्तान की आवाज़ को UN और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाए। उन्होंने कहा कि अगर भारत अपने राजनयिक मंचों पर बलूचिस्तान के मसले को गंभीरता से उठाता है और पाकिस्तान के खिलाफ वैश्विक दबाव बनाता है, तो वे जल्द ही स्वतंत्र बलूचिस्तान की दिशा में अंतिम कदम उठा सकते हैं।

पाकिस्तान के दमन की तस्वीरें

बलूच नेताओं के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने सैकड़ों बलूच कार्यकर्ताओं और युवाओं को लापता कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मानवाधिकार उल्लंघनों (Human Rights Violations) के तहत लोगों को फर्जी एनकाउंटर में मारा गया, महिलाओं पर अत्याचार हुआ और गांव के गांव जलाए गए। कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी बलूचिस्तान में पाकिस्तान की कार्रवाई पर चिंता जताई है।

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भारत की रणनीति क्या हो सकती है?

भारत पहले ही कई बार संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद (Terrorism) के मुद्दे पर घेरा है। बलूचिस्तान के मुद्दे पर भारत की स्थिति अब तक सतर्क रही है। लेकिन 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बलूचिस्तान का उल्लेख कर संकेत दिए थे कि भारत इस विषय को अंतरराष्ट्रीय मंचों तक ले जा सकता है।

कूटनीतिक समर्थन से क्या बदलेगा?

बलूच नेताओं का कहना है कि उन्हें सैन्य मदद नहीं चाहिए, बल्कि नैतिक और कूटनीतिक समर्थन चाहिए। अगर भारत संयुक्त राष्ट्र (United Nations), यूरोपीय संघ (EU) और अन्य संगठनों के सामने बलूचिस्तान की हकीकत उजागर करता है, तो पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बढ़ेगा। इससे वहां की जनता को भी हौसला मिलेगा और आज़ादी की लड़ाई को एक नया आयाम मिलेगा।

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चीन और CPEC का एंगल

बलूचिस्तान की भू-राजनीतिक स्थिति के कारण चीन भी इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखता है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का एक बड़ा हिस्सा बलूचिस्तान से होकर गुजरता है। बलूच लड़ाके आरोप लगाते हैं कि CPEC के नाम पर उनकी जमीन छीनी जा रही है और उन्हें विकास से वंचित रखा जा रहा है। ऐसे में भारत यदि CPEC और चीन के हस्तक्षेप का मुद्दा भी उठाता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम साबित हो सकता है।

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