कोर्ट का अजीब फैसला! लोन लेने वाली महिला को दी बैंक में 2 महीने तक झाड़ू लगाने की सजा

₹1.05 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाली महिला को जमानत के बदले मिली अनोखी सजा! ओडिशा हाईकोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है… जानिए क्या है पूरा मामला और क्यों देनी पड़ रही है बैंक में सेवा?

Published On:
कोर्ट का अजीब फैसला! लोन लेने वाली महिला को दी बैंक में 2 महीने तक झाड़ू लगाने की सजा
कोर्ट का अजीब फैसला! लोन लेने वाली महिला को दी बैंक में 2 महीने तक झाड़ू लगाने की सजा

ओडिशा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे मामले में फैसला सुनाया है जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह मामला जालसाजी और धोखाधड़ी से जुड़ा है, लेकिन इस बार कोर्ट ने सजा के तौर पर एक नया और अनोखा तरीका अपनाया है। मामला एक महिला से जुड़ा है जिसने ICICI बैंक से ₹1.05 करोड़ का लोन लिया था और फिर गिरवी रखी जमीन को गैरकानूनी रूप से बेच दिया। कोर्ट ने महिला को जमानत देते हुए एक शर्त रखी है कि उसे दो महीने तक रोज ICICI बैंक की सफाई करनी होगी।

जमानत के बदले बैंक की सफाई, कोर्ट का अनोखा आदेश

ओडिशा हाईकोर्ट ने आरोपी महिला की जमानत मंजूर करते हुए उसे एक विशेष जिम्मेदारी सौंपी है। कोर्ट के आदेशानुसार, महिला को कटक स्थित रिंग रोड पर ICICI बैंक की शाखा में रोज सुबह 8 बजे से 10 बजे तक सफाई करनी होगी। यह आदेश 2 महीने तक प्रभावी रहेगा और इस दौरान महिला को बैंक परिसर में साफ-सफाई करनी होगी। इस कार्य की निगरानी स्थानीय पुलिस द्वारा की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आदेश का पालन सही तरीके से हो रहा है।

महिला ने बेची थी गिरवी रखी जमीन, मामला 1.05 करोड़ के लोन से जुड़ा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी महिला और उसके सहयोगी ने वर्ष 2018 में ICICI बैंक की कटक ब्रांच से तीन चरणों में कुल ₹1.05 करोड़ का लोन लिया था। इसके बदले उन्होंने भुवनेश्वर स्थित तीन आवासीय संपत्तियों को गिरवी रखा था। लेकिन लोन की अदायगी से पहले ही महिला के सहयोगी ने इन संपत्तियों में से एक को तीसरे व्यक्ति को बेच दिया। इस अवैध बिक्री की जानकारी मिलते ही उस व्यक्ति ने तुरंत बैंक में शिकायत दर्ज कराई, जिससे यह मामला सामने आया।

क्राइम ब्रांच ने किया था गिरफ्तार, IPC की कई धाराओं में मामला दर्ज

ओडिशा क्राइम ब्रांच की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले की जांच शुरू की और 5 फरवरी को आरोपी महिला को गिरफ्तार किया गया। महिला पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का असली के रूप में इस्तेमाल) और 120-B (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया।

कोर्ट ने सुधरने का दिया मौका, लेकिन शर्त के साथ

कोर्ट का यह फैसला इसलिए खास है क्योंकि इसमें जेल में बंद आरोपी को सजा के साथ एक सुधार का मौका भी दिया गया है। आमतौर पर इस तरह के मामलों में जमानत शर्तों के साथ दी जाती है, लेकिन कोर्ट ने इस बार सामाजिक सेवा को शर्त के तौर पर शामिल किया। ICICI बैंक को भी आदेश दिया गया है कि वह महिला को परिसर की सफाई के लिए अनुमति दे। इस दौरान महिला को किसी भी नए आपराधिक मामले में शामिल नहीं होने की भी सख्त हिदायत दी गई है।

समाज में संदेश देने की कोशिश

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट केवल सजा देने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज को एक सकारात्मक संदेश देने का भी प्रयास कर रही है। इस तरह की शर्तें ना सिर्फ आरोपी को अपनी गलती का एहसास कराती हैं, बल्कि समाज में अपराधियों के लिए चेतावनी का काम भी करती हैं। कोर्ट ने इस फैसले के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की है कि कानून के साथ खिलवाड़ करने वालों को सजा तो मिलेगी ही, साथ ही उन्हें समाज की सेवा के जरिए अपने अपराध का प्रायश्चित करने का मौका भी मिलेगा।

यह फैसला क्यों है चर्चा में?

देशभर में इस फैसले की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि यह पारंपरिक न्याय प्रणाली से हटकर एक नया दृष्टिकोण पेश करता है। जहां एक ओर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी एक गंभीर अपराध है, वहीं इस फैसले ने यह भी दिखाया है कि सुधार के रास्ते बंद नहीं होते। कोर्ट के इस कदम से यह भी साबित होता है कि न्यायपालिका अब सामाजिक जिम्मेदारियों को भी सजा के साथ जोड़ रही है, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।

Follow Us On

Leave a Comment