उधार दिए पैसे नहीं मिल रहे वापस? अपनाइए ये कानूनी तरीका, दौड़कर वापस करेगा कर्जदार पैसा

अगर उधारी दिए गए पैसे नहीं मिल रहे हैं, तो जानिए कैसे भारतीय कानून के तहत आप अपने पैसे को कानूनी तरीके से वसूल सकते हैं। यह आसान तरीका कर्जदार को दौड़कर पैसे लौटाने के लिए मजबूर कर देगा!

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उधार का पैसा नहीं मिल रहा? अपनाएं ये कानूनी तरीका!

अक्सर देखा जाता है की पैसों की आवश्यकता पड़ने पर बहुत से लोग पैसे तो उधार ले लेते हैं, पर जब बात पैसे वापस देने की आती है तो वह बाद में देने का बहाना करते हैं या लौटाते ही नहीं। ऐसी स्थिति में हमें यह जानने की आवश्यकता होती है कि हम कैसे कानूनी तरीके से अपने पैसों को वापस पा सकते हैं। भारतीय कानून के तहत, कर्ज का भुगतान न करने पर उधारी देने वाला व्यक्ति कई कानूनी उपायों का सहारा ले सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप अपनी उधारी का पैसा वापस लेने के लिए कौन-कौन से कदम उठा सकते हैं और क्या कानूनी प्रक्रिया होगी।

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क्या करें जब कर्जदार पैसा वापस न दे?

कभी-कभी, किसी को उधारी देने के बाद उसे वापस पाने के लिए आपको कानूनी उपायों की आवश्यकता हो सकती है। सबसे पहले, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके पास उधारी का लिखित प्रमाण हो। यदि आपने उधारी के लिए कोई लिखित समझौता किया है तो यह आपके लिए सबसे मजबूत सबूत होगा। इस समझौते में सभी शर्तें और भुगतान की तारीख स्पष्ट रूप से जिक्र होनी चाहिए। इसके साथ ही, अगर आपसे डिजिटल माध्यम से पैसे उधार लिए गए हैं, तो आपके पास व्हाट्सएप चैट, बैंक ट्रांजैक्शन या ईमेल के माध्यम से सबूत हो सकते हैं, जिन्हें आप कानूनी प्रक्रिया में उपयोग कर सकते हैं।

कानूनी नोटिस भेजना

कर्जदार से पैसे वापस पाने के लिए पहला कदम कानूनी नोटिस भेजना है। यदि उधारी का भुगतान नहीं हो रहा है, तो आपको कर्जदार को एक कानूनी नोटिस भेजने का अधिकार है। इस नोटिस में आप कर्जदार से एक निर्धारित समय सीमा के भीतर पैसे वापस करने की मांग कर सकते हैं। यह नोटिस एक तरह से कर्जदार को चेतावनी देने का काम करता है कि अगर वह समय पर पैसे नहीं लौटाता, तो आप कोर्ट का सहारा लेंगे।

सिविल कोर्ट में मनी रिकवरी सूट

अगर नोटिस भेजने के बावजूद कर्जदार पैसे नहीं लौटाता, तो आप सिविल कोर्ट में मनी रिकवरी सूट दायर कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में आपको कोर्ट में अपनी उधारी का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा और कर्जदार से पैसे की वसूली की मांग करनी होगी। कोर्ट में चलने वाली यह प्रक्रिया आमतौर पर कुछ समय ले सकती है, लेकिन यह आपके पैसे वापस पाने का कानूनी तरीका है।

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चेक बाउंस का मामला

यदि आपने कर्जदार को चेक के माध्यम से पैसे दिए हैं और वह चेक बाउंस हो जाता है, तो यह एक अलग कानूनी मामला बन सकता है। ऐसे मामलों में आप कर्जदार के खिलाफ चेक बाउंस के तहत एक कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। इसमें आपको बैंक से बाउंस मेमो प्राप्त करना होगा और कर्जदार को 30 दिनों के भीतर नोटिस भेजना होगा।

न्यायालय के साथ सहमति बनाने के उपाय

यदि आप अदालत की लंबी प्रक्रिया से बचना चाहते हैं, तो एक और तरीका है मध्यस्थता। इसमें दोनों पक्षों के बीच एक निष्पक्ष मध्यस्थ की सहायता से विवाद का समाधान किया जाता है। यह समाधान अदालत से बाहर होता है और इसके माध्यम से जल्दी और कम खर्च में समाधान प्राप्त किया जा सकता है।

वसूली एजेंसियों का सहारा

अगर मामला अदालत तक पहुंचने से पहले भी हल नहीं हो पाता, तो वसूली एजेंसियों का सहारा लिया जा सकता है। ये एजेंसियां कर्जदार से पैसे वसूलने के लिए कानूनी दबाव डाल सकती हैं। हालांकि, ये एजेंसियां सीधे कर्जदार को सजा नहीं देतीं, लेकिन वे उन्हें धमकियां देती हैं कि अगर वे पैसे वापस नहीं करेंगे तो कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

कानूनी दंड के संभावित परिणाम

यदि कोई व्यक्ति उधारी दिए गए पैसे वापस नहीं करता है, तो भारतीय कानूनी प्रणाली में इस पर कुछ विशेष सजा का प्रावधान है। यह सजा कई प्रकार से हो सकती है, जिसमें दीवानी अदालत के फैसले, चेक बाउंस के मामले, और सिविल सूट शामिल हैं, नीचे हम जानेंगे कि उधारी न लौटाने पर कर्जदार को क्या सजा हो सकती है।

  • गिरफ्तारी: यदि अदालत का आदेश लागू नहीं होता और कर्जदार कोर्ट की अवहेलना करता है तो उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
  • जुर्माना: कोर्ट कर्जदार पर आर्थिक जुर्माना भी लगा सकती है।
  • सजा: चेक बाउंस के मामलों में, कर्जदार को जेल की सजा हो सकती है।

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