CUET UG 2025: क्या 12वीं के नंबर भी जरूरी हैं? जानिए एडमिशन से जुड़े पूरे नियम और प्रक्रिया

CUET UG 2025 देने वाले लाखों छात्रों के लिए बड़ी जानकारी! क्या आपको भी लगता है कि सिर्फ CUET स्कोर से एडमिशन मिल जाएगा? तो रुकिए... कई यूनिवर्सिटी और कोर्स ऐसे हैं जहां 12वीं के नंबर को भी एडमिशन में कंसीडर करते हैं। जानिए आगे

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नई दिल्ली | एजुकेशन डेस्क: कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट अंडरग्रेजुएट (CUET UG) 2025 की परीक्षा आज 13 मई को आयोजित की जानी है। इस बार भी देशभर से लाखों छात्रों ने इसमें भाग लेने के लिए आवेदन किया है। CUET के जरिए देश की बड़ी केंद्रीय, राज्य, निजी और डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ में ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है।

CUET UG 2025: क्या 12वीं के नंबर भी जरूरी हैं? जानिए एडमिशन से जुड़े पूरे नियम और प्रक्रिया

लेकिन इस बीच एक सवाल हर छात्र और अभिभावक के मन में है—क्या सिर्फ CUET स्कोर ही एडमिशन के लिए काफी है या फिर कक्षा 12वीं के मार्क्स भी मायने रखते हैं? इस रिपोर्ट में हम इसी सवाल का जवाब विस्तार से दे रहे हैं।

CUET UG स्कोर का क्या है महत्व?

CUET UG परीक्षा को लेकर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह परीक्षा अब लगभग 260 से अधिक यूनिवर्सिटी में एडमिशन का आधार बन चुकी है। इसमें 47 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 26 राज्य विश्वविद्यालय, 7 सरकारी संस्थान, 22 डीम्ड यूनिवर्सिटी और 102 प्राइवेट यूनिवर्सिटी शामिल हैं। अधिकांश केंद्रीय विश्वविद्यालयों जैसे दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) में सिर्फ CUET का स्कोर ही एडमिशन का मुख्य आधार है।

क्या 12वीं के नंबर का कोई रोल है?

हालांकि CUET स्कोर प्राथमिकता पर होता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में या खास कोर्स और यूनिवर्सिटीज़ में 12वीं के नंबर भी अहम भूमिका निभाते हैं। इसमें दो मुख्य बिंदु होते हैं:

1. योग्यता (Eligibility Criteria) के लिए

अक्सर प्रोफेशनल या तकनीकी कोर्सेज़ (जैसे BBA, BCA, B.Ed, BSc) के लिए यूनिवर्सिटीज़ एक न्यूनतम क्वालिफिकेशन तय करती हैं। उदाहरण के तौर पर किसी कोर्स के लिए यह आवश्यक हो सकता है कि छात्र ने 12वीं कक्षा में न्यूनतम 50% या 60% अंक प्राप्त किए हों। यदि छात्र CUET में अच्छे अंक लाता है, लेकिन 12वीं के अंकों में कटऑफ से कम है, तो वह उस कोर्स के लिए अयोग्य माना जाएगा।

2. टाई-ब्रेकर पॉलिसी के लिए

अगर CUET में दो या उससे अधिक छात्रों को एक जैसे अंक मिलते हैं, तो उस स्थिति में टाई ब्रेक करने के लिए कक्षा 12वीं या कुछ मामलों में 10वीं के अंकों को देखा जा सकता है। यानी यह नंबर तब निर्णायक बन जाते हैं जब CUET स्कोर के आधार पर फैसला नहीं हो पा रहा हो।

कौन-सी यूनिवर्सिटीज़ 12वीं के मार्क्स को काउंट करती हैं?

अधिकांश सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ सिर्फ CUET स्कोर को ही आधार बनाती हैं और 12वीं के अंकों को एडमिशन प्रक्रिया में शामिल नहीं करतीं। लेकिन कई स्टेट यूनिवर्सिटी, प्राइवेट कॉलेज या डेम्ड यूनिवर्सिटीज़ में अब भी 12वीं की परफॉर्मेंस को देखा जाता है।

खास तौर पर BCA, BBA, B.Ed जैसे कोर्सों में छात्रों को एडमिशन देने के लिए 12वीं के मार्क्स का एक निश्चित वेटेज हो सकता है। इसलिए छात्र जिस यूनिवर्सिटी या कोर्स के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वहां का नोटिफिकेशन (admission notification) को जरूर पढ़ें।

सिर्फ CUET स्कोर काफी नहीं, 12वीं के नंबर भी इम्पोर्टेन्ट

CUET UG परीक्षा भारत में उच्च शिक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया को केंद्रीकृत और पारदर्शी बना रही है, लेकिन छात्रों को यह नहीं भूलना चाहिए कि 12वीं के नंबर अब भी कई कोर्सों और यूनिवर्सिटीज़ में एंट्री गेट की भूमिका निभा सकते हैं।

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