
मृत्यु का रहस्य (Death Mystery) सदियों से मानव जीवन का सबसे जटिल और गूढ़ विषय रहा है। जब आत्मा (Soul) शरीर से अलग होती है, तो वह किन अनुभवों से गुजरती है, यह एक ऐसा प्रश्न है जो हर किसी के मन में उठता है। धार्मिक ग्रंथों और आध्यात्मिक मान्यताओं के आधार पर बताया गया है कि आत्मा जब शरीर से निकलती है तो वह कई मानसिक और भावनात्मक अवस्थाओं से गुजरती है। आइए जानते हैं मृत्यु के बाद आत्मा किन 7 रहस्यमयी अवस्थाओं से होकर गुजरती है।
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अचेत अवस्था में होती है आत्मा
जब आत्मा शरीर से अलग होती है, तो शुरुआत में वह अचेत अवस्था में चली जाती है। यह अनुभव कुछ वैसा ही होता है जैसे कोई व्यक्ति अत्यधिक थकान के बाद गहरी नींद में चला जाए। लेकिन यह अवस्था ज्यादा देर तक नहीं रहती। कुछ समय बाद आत्मा फिर से सचेत हो जाती है और जाग्रत होकर खड़ी हो जाती है। यही वह क्षण होता है जब आत्मा को यह अहसास होता है कि वह अब भौतिक शरीर से अलग हो चुकी है।
आत्मा करती है समान व्यवहार
सचेत अवस्था में आने के बाद आत्मा को यह आभास नहीं होता कि वह शरीर से बाहर है। वह अपने पुराने व्यवहार की तरह ही आसपास के लोगों से संवाद करने की कोशिश करती है। आत्मा पहले की तरह अपने परिवारीजनों, मित्रों और वातावरण के साथ संपर्क में रहने की कोशिश करती है, लेकिन धीरे-धीरे उसे यह अनुभव होता है कि कोई उसकी बात नहीं सुन पा रहा है।
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बेचैनी और छटपटाहट में होती है आत्मा
जब आत्मा को यह महसूस होता है कि उसकी आवाज कोई नहीं सुन पा रहा है, तो उसमें बेचैनी और छटपटाहट पैदा हो जाती है। आत्मा बार-बार अपने प्रियजनों को पुकारती है, उनसे कुछ कहना चाहती है, लेकिन उसकी ध्वनि भौतिक नहीं होती, इसलिए इंसान उसे नहीं सुन सकता। यह अवस्था आत्मा के लिए बेहद पीड़ादायक होती है, क्योंकि वह केवल देख सकती है, लेकिन न कुछ कह सकती है और न ही किसी को छू सकती है।
आत्मा का संचार हो जाता है बंद
आत्मा जिस संसार से निकलती है, उस संसार से भावनात्मक रूप से जुड़ी होती है। वर्षों तक शरीर के साथ रहते हुए जो मोह, प्रेम और लगाव बना होता है, वह आत्मा को अपने मृत शरीर और संबंधियों से जोड़कर रखता है। आत्मा बार-बार संवाद की कोशिश करती है, लेकिन उसका कोई प्रयास सफल नहीं होता। यह संचारहीनता आत्मा के दुःख को और भी बढ़ा देती है।
आत्मा करती है पुनः प्रवेश का प्रयास
इस अवस्था में आत्मा पुनः अपने शरीर में लौटने की कोशिश करती है। वह बार-बार प्रयास करती है कि किसी तरह अपने मृत शरीर में फिर से प्रवेश कर सके। लेकिन यम के दूत उसे ऐसा करने से रोकते हैं। आत्मा को धीरे-धीरे यह स्वीकार करना पड़ता है कि अब उसे इस भौतिक संसार से विदा लेनी है। यह स्वीकारोक्ति धीरे-धीरे मोह के बंधन को कमजोर करती है और आत्मा मृत्यु लोक को छोड़ने के लिए तैयार हो जाती है।
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आत्मा होती है अत्यंत दुखी
जब आत्मा अपने प्रियजनों को रोते-बिलखते देखती है, तो वह अत्यधिक दुखी होती है। उसे यह भी याद आने लगता है कि उसने जीवन में कौन-कौन से कर्म किए। वह लाचार होकर अपने परिजनों को देखती है, लेकिन कुछ कर पाने में असमर्थ होती है। यह अवस्था अत्यंत भावुक होती है, जहां आत्मा खुद की लाचारी से व्यथित होती है। इसी दौरान यम के दूत उसे यह कहते हैं कि अब चलने का समय हो गया है।
कर्मों के आधार पर होता है नया जन्म
आत्मा मृत्यु लोक की सीमा को पार करके एक ऐसे स्थान पर पहुंचती है जहां न सूर्य की रोशनी होती है और न चंद्रमा की चांदनी। यह स्थान पूरी तरह अंधकारमय होता है। वहां आत्मा कुछ समय तक विश्राम करती है। यह विश्राम काल आत्मा के कर्मों और इच्छाओं पर निर्भर करता है। कुछ आत्माएं जल्दी नया शरीर धारण कर लेती हैं जबकि कुछ आत्माएं लंबे समय तक विश्राम करने के बाद पुनर्जन्म (Rebirth) के लिए तैयार होती हैं।