प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के बाद भी मालिक नहीं बन पाएंगे अगर ये जरूरी काम नहीं किया!

अगर आपने प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री तो कराई है लेकिन दाखिल-खारिज नहीं कराया, तो समझ लीजिए खतरे की घंटी बज चुकी है! बिना इस जरूरी प्रक्रिया के आप न सरकारी रिकॉर्ड में मालिक माने जाएंगे और न ही मुआवजे या योजनाओं के हकदार होंगे। जानिए क्यों दाखिल-खारिज आपके स्वामित्व का असली प्रमाण है।

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not get all ownership rights by just getting the registry

प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के बाद भी अगर आपने दाखिल-खारिज (Mutation) की प्रक्रिया पूरी नहीं की है, तो आप कानूनी रूप से उस संपत्ति के पूर्ण मालिक नहीं माने जाएंगे। भारत में बड़ी संख्या में लोग इस भ्रम में रहते हैं कि रजिस्ट्री के साथ ही स्वामित्व उनके नाम दर्ज हो गया है, लेकिन असलियत इससे कहीं अलग है। दाखिल-खारिज ही वह प्रक्रिया है जो किसी भी संपत्ति को राजस्व रिकॉर्ड में आपके नाम पर दर्ज कराती है।

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रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज में फर्क क्या है

रजिस्ट्री केवल इस बात का प्रमाण है कि संपत्ति की बिक्री हुई है, लेकिन सरकारी दस्तावेज़ों में आपके नाम की एंट्री तभी मानी जाती है जब आप दाखिल-खारिज कराते हैं। दाखिल-खारिज का महत्व तब और बढ़ जाता है जब भविष्य में संपत्ति कर, सरकारी योजनाओं, बिजली-पानी के कनेक्शन या किसी मुआवजे की बात आती है। यदि आपने यह प्रक्रिया नहीं करवाई है, तो सरकारी रिकॉर्ड में आप मालिक नहीं, बल्कि पुराने स्वामी ही दर्ज रहते हैं।

दाखिल-खारिज की प्रक्रिया कैसे पूरी करें

दाखिल-खारिज से जुड़ी यह प्रक्रिया ज़्यादातर नगर निगम, पंचायत या नगरपालिका के राजस्व विभाग द्वारा संचालित होती है। कुछ राज्यों में यह सेवा अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है। आपको बिक्री विलेख, आधार कार्ड, कर भुगतान रसीद जैसी जरूरी कागजात देने होते हैं और एक निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन करना होता है। स्वीकृति के बाद संपत्ति के रिकॉर्ड में नामांतरण किया जाता है।

दाखिल-खारिज न कराने पर क्या समस्या हो सकती है

दाखिल-खारिज (Mutation) न कराना सिर्फ एक छोटी चूक नहीं है, बल्कि यह भविष्य में कानूनी और वित्तीय समस्याओं का बड़ा कारण बन सकता है। नीचे बताया गया है कि अगर आपने रजिस्ट्री के बाद भी दाखिल-खारिज नहीं कराया, तो आपको किन-किन गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है:

1. सरकारी रिकॉर्ड में आपका नाम दर्ज नहीं होगा
रजिस्ट्री होने के बावजूद, अगर म्यूटेशन नहीं कराया गया, तो सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में संपत्ति अब भी पुराने मालिक के नाम पर ही दर्ज रहती है। इससे कानूनी दृष्टिकोण से आप मालिक नहीं माने जाते।

2. संपत्ति कर भुगतान में अड़चन
बिना म्यूटेशन के आप अपने नाम से संपत्ति कर (property tax) जमा नहीं कर सकते। इससे न केवल पेनल्टी लग सकती है, बल्कि यह रिकॉर्ड में भी आपके स्वामित्व को सिद्ध नहीं कर पाएगा।

3. सरकारी मुआवजा पाने में परेशानी
यदि आपकी संपत्ति किसी सरकारी परियोजना के तहत अधिग्रहित होती है, तो मुआवजा उसी व्यक्ति को दिया जाएगा जिसके नाम पर म्यूटेशन दर्ज है – यानी पुराने मालिक को।

4. बिजली-पानी कनेक्शन लेने में दिक्कत
नई संपत्ति पर बिजली, पानी या गैस कनेक्शन लेने के लिए म्यूटेशन प्रमाणपत्र अक्सर मांगा जाता है। दाखिल-खारिज न होने पर ये सेवाएं प्राप्त करना कठिन हो सकता है।

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दाखिल-खारिज की अहमियत क्यों है ज़रूरी समझना

यह जानना जरूरी है कि दाखिल-खारिज कराना केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि आपके स्वामित्व का सार्वजनिक और प्रशासनिक सत्यापन होता है। खासकर तब, जब संपत्ति विवादित हो या भविष्य में बेची जाए, तो बिना दाखिल-खारिज के वह लेन-देन अधूरी मानी जा सकती है। इसलिए जैसे ही रजिस्ट्री कराएं, तुरंत दाखिल-खारिज की प्रक्रिया भी पूरी करें।

कानूनी नजरिए से दाखिल-खारिज का महत्व

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, दाखिल-खारिज का अभिलेख सिर्फ रिकॉर्ड रखने के लिए है, लेकिन सरकारी लाभों या कानूनन साक्ष्य के तौर पर इसका महत्व कम नहीं है। इसलिए यह न सोचें कि केवल रजिस्ट्री ही काफी है, बल्कि अपने अधिकारों की पूर्ण सुरक्षा के लिए दाखिल-खारिज कराना आवश्यक है।

ऑनलाइन दाखिल-खारिज से बढ़ी सुविधा

सरकार ने नागरिकों को यह सुविधा दी है कि वे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और अपने आवेदन की स्थिति भी ट्रैक कर सकते हैं। इससे पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार की संभावना कम हुई है। हालांकि अभी भी कई क्षेत्रों में यह सुविधा सीमित है, इसलिए स्थान-विशेष की जानकारी के लिए स्थानीय राजस्व कार्यालय से संपर्क करना चाहिए।

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