12 साल किराए पर रहने के बाद क्या किराएदार बन सकता है मकान का मालिक?

अगर आपका किराएदार सालों से एक ही मकान में रह रहा है, तो यह खबर आपके लिए अलार्म है! भारत में एक ऐसा कानून है जिससे 12 साल लगातार कब्जे में रहने वाला व्यक्ति मालिकाना हक का दावा कर सकता है। लेकिन क्या किराएदार भी ऐसा कर सकता है? जानिए वकील की सलाह और बचाव के जरूरी नियम।

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भारत में किराए पर मकान देने का चलन आम है, खासतौर पर बड़े शहरों में, जहां लोग अतिरिक्त आय के लिए अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई किराएदार लगातार 12 साल तक आपकी प्रॉपर्टी में रहे, तो क्या वह उस मकान का मालिक बन सकता है?

यह सवाल कई मकान मालिकों के लिए डर पैदा करने वाला होता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले एडवोकेट वरुण कटियार ने इस पर स्पष्ट राय दी है — और उन्होंने ‘Adverse Possession’ जैसे महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत को समझाते हुए बताया कि कब किराएदार मालिक बनने का दावा कर सकता है और कब नहीं।

12 साल किराए पर रहने के बाद क्या किराएदार बन सकता है मकान का मालिक?
12 साल किराए पर रहने के बाद क्या किराएदार बन सकता है मकान का मालिक?

क्या है Adverse Possession कानून?

‘Adverse Possession’ का मतलब है – यदि कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी पर बिना कानूनी हक या मालिक की इजाजत के, लगातार 12 साल तक कब्जा बनाए रखता है और उस पर मालिक जैसा बर्ताव करता है — तो वह अदालत में उस प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है।

यह कानून The Limitation Act, 1963 की धारा 65 के अंतर्गत आता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर किराएदार 12 साल बाद आपकी प्रॉपर्टी पर कब्जा जमा सकता है।

किराएदार के लिए मालिकाना हक पाने की शर्तें

एडवोकेट वरुण कटियार बताते हैं कि अगर कोई किराएदार Adverse Possession के तहत मालिकाना दावा करता है, तो उसे निम्नलिखित बातें अदालत में साबित करनी होंगी:

  1. कब्जा मालिक की मर्जी के खिलाफ था: किराएदार को यह दिखाना होगा कि वह सिर्फ किराए पर नहीं, बल्कि बिना मालिक की सहमति के प्रॉपर्टी का इस्तेमाल कर रहा था।
  2. 12 साल तक बिना किसी आपत्ति के कब्जा रहा: मालिक ने 12 सालों तक कोई आपत्ति नहीं जताई, न ही किराएदार से प्रॉपर्टी खाली करवाई।
  3. किराएदारी संबंध खत्म हो गया था: अगर किराए की अवधि खत्म हो गई थी और फिर भी व्यक्ति वहां रह रहा था — और मालिक चुप रहा — तो मामला Adverse Possession की दिशा में जा सकता है।
  4. सबूत जरूरी हैं: टैक्स, बिजली-पानी के बिल, गवाहों के हलफनामे, रजिस्ट्री रिकॉर्ड इत्यादि से किराएदार को यह साबित करना होगा कि उसने प्रॉपर्टी को अपनी समझकर इस्तेमाल किया।

यानी सिर्फ 12 साल रहना पर्याप्त नहीं है — इरादा और सबूत दोनों जरूरी हैं।

सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?

सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में साफ किया है कि किराएदार, जब तक वह वैध एग्रीमेंट के तहत रह रहा है, तब तक वह Adverse Possession का दावा नहीं कर सकता। यानी किराए की शुरुआत से ही अगर प्रॉपर्टी मालिक और किराएदार के बीच एग्रीमेंट है, तो वह कब्जा कानूनन “सहमति से दिया गया कब्जा” कहलाता है — और ऐसे में मालिकाना हक का दावा अस्वीकार्य होता है।

प्रॉपर्टी किराए पर देने से पहले ध्यान रखें ये बातें

यदि आप मकान मालिक हैं और चाहते हैं कि भविष्य में कोई भी कानूनी समस्या न आए, तो इन बिंदुओं पर ध्यान देना बेहद जरूरी है:

  1. रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं: 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट बनाना एक सामान्य प्रक्रिया है। इसे हर 11 महीने बाद रिन्यू करवाना चाहिए।
  2. एग्रीमेंट रजिस्टर्ड हो: एक रजिस्टर्ड एग्रीमेंट अदालत में एक मजबूत दस्तावेज़ होता है।
  3. बिजली, पानी और टैक्स का रिकॉर्ड अपने नाम रखें: किराएदार के नाम पर बिल न होने दें, इससे कब्जे के दावे को कानूनी आधार नहीं मिलेगा।
  4. किराया बैंक ट्रांसफर से लें: कैश में किराया लेने से विवाद की स्थिति में सबूत देना मुश्किल हो सकता है।
  5. प्रॉपर्टी की निगरानी रखें: समय-समय पर अपनी प्रॉपर्टी की स्थिति जांचते रहें।

अगर किराएदार कब्जा जमाए तो क्या करें?

यदि कोई किराएदार आपकी प्रॉपर्टी खाली करने से मना करता है, तो आप इन कानूनी उपायों को अपना सकते हैं:

  • एविक्शन नोटिस (Eviction Notice) भेजें
  • सिविल कोर्ट में मामला दर्ज करें
  • रेंट कंट्रोल अथॉरिटी से संपर्क करें (कुछ राज्यों में यह व्यवस्था है)
  • कानूनी सलाह लेकर कार्रवाई करें

किराए पर दें, लेकिन सतर्क रहें

भारत में प्रॉपर्टी किराए पर देना आम बात है, लेकिन इसमें लापरवाही से बड़ा नुकसान हो सकता है। 12 साल में कब्जा पाने का कानून भले ही हो, लेकिन किराएदार को उसका लाभ तभी मिलेगा जब वह मालिक की मर्जी के बिना, सबूतों सहित, और न्यायालय की अनुमति से साबित कर सके।

यदि आप नियमित रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं, कागजात दुरुस्त रखते हैं और समय-समय पर स्थिति पर नजर रखते हैं, तो किसी भी तरह के अवैध कब्जे या दावे की कोई संभावना नहीं रहती।

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