
गंजापन या Hair Loss एक ऐसी समस्या है जिससे न सिर्फ पुरुष बल्कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी जूझ रही हैं। यह सवाल कि क्या गंजे सिर पर दोबारा बाल वापस लाए जा सकते हैं, विज्ञान और मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लगातार शोध और परीक्षणों का विषय बना हुआ है। आज के समय में बालों के झड़ने (Hair Fall) और गंजेपन (Baldness) के इलाज के लिए कई उपाय मौजूद हैं – हेयर ट्रांसप्लांट से लेकर लेजर थेरेपी और मेडिकेशन तक। लेकिन क्या ये उपाय वाकई असरदार हैं, और क्या यह पूरी तरह स्थायी समाधान हैं? आइए जानते हैं।
गंजेपन की जड़ में छिपा है आनुवंशिक रहस्य
गंजापन (Androgenetic Alopecia) एक आनुवंशिक स्थिति है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करती है। आंकड़ों के अनुसार, करीब 85 फीसदी पुरुष अपने जीवनकाल में किसी न किसी रूप में बाल झड़ने की समस्या का सामना करते हैं। वहीं, 33 फीसदी महिलाएं भी इस स्थिति से प्रभावित होती हैं।
आमतौर पर माना जाता है कि गंजेपन का जीन मां से विरासत में मिलता है, क्योंकि एक विशेष एआर जीन (AR Gene) X क्रोमोसोम पर होता है जो मां से आता है। हालांकि, यह पूरी सच्चाई नहीं है। गंजापन पॉलीजेनिक होता है, यानी इसमें करीब 200 तरह के जीन भूमिका निभाते हैं – जिनमें से कुछ मां से और बाकी पिता से आते हैं। रिसर्च बताती हैं कि गंजेपन से पीड़ित 80 फीसदी लोगों के पिता भी इसी समस्या से जूझ चुके होते हैं।
पर्यावरण और हॉर्मोन्स भी निभाते हैं अहम भूमिका
जेनेटिक्स के अलावा तनाव (Stress), पोषण की कमी (Nutritional Deficiency), हॉर्मोनल बदलाव (Hormonal Changes) और कुछ विशेष हेयर स्टाइल्स भी बाल झड़ने के पीछे की वजह हो सकते हैं। मसलन, पोनीटेल जैसी हेयर स्टाइल्स में बालों को कसकर बांधने से हेयर फॉलिकल्स पर दबाव पड़ता है जिससे धीरे-धीरे बाल पतले होने लगते हैं।
एक अन्य बड़ी वजह है हॉर्मोन डीएचटी (Dihydrotestosterone), जो टेस्टोस्टेरोन से उत्पन्न होता है। यह हॉर्मोन जब अत्यधिक मात्रा में बनता है और स्कैल्प पर मौजूद हेयर फॉलिकल्स इसके प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, तो बाल झड़ने लगते हैं।
क्या वास्तव में संभव है बालों को फिर से उगाना?
आज के दौर में बालों की ग्रोथ को फिर से बढ़ाने के लिए हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी, दवाइयां और लेजर थेरेपी जैसे विकल्प मौजूद हैं।
हेयर ट्रांसप्लांट अब एक बेहद सामान्य प्रक्रिया बन गई है, जिसमें शरीर के अन्य हिस्सों से हेयर फॉलिकल्स निकालकर उन्हें गंजे हिस्से में ट्रांसप्लांट किया जाता है। तुर्की इस प्रकार की कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।
मेडिकल ट्रीटमेंट्स में फिनास्टेराइड (Finasteride) और मिनोक्सिडिल (Minoxidil) प्रमुख दवाइयां हैं। फिनास्टेराइड डीएचटी हॉर्मोन के उत्पादन को रोकता है, जबकि मिनोक्सिडिल स्कैल्प की रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करके बालों के विकास में मदद करता है। हालांकि इन दवाओं के परिणाम व्यक्ति विशेष पर निर्भर करते हैं और इन्हें लंबे समय तक नियमित रूप से इस्तेमाल करना होता है।
लेजर थेरेपी भी एक विकल्प है जिसमें कम तीव्रता वाले लेजर लाइट्स का प्रयोग करके हेयर फॉलिकल्स को सक्रिय किया जाता है। हालांकि वैज्ञानिक यह स्पष्ट नहीं कर पाए हैं कि यह प्रक्रिया वास्तव में किस तरह से काम करती है, लेकिन कुछ प्रयोगों में इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
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चूहों पर शोध: शुगर जेल से उग आए बाल
हाल ही में किए गए एक रोचक अध्ययन में चूहों पर टू-डिऑक्सी-डी-राइबोज (2-deoxy-D-ribose) नामक एक प्राकृतिक शुगर का प्रयोग किया गया, जो शरीर में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है। इस शुगर का उपयोग पहले घाव भरने के परीक्षण में किया जा रहा था, लेकिन अनजाने में यह पाया गया कि इसके संपर्क में आने से घाव के आसपास बाल उगने लगे।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने इस शुगर को एक जेल के रूप में 21 दिनों तक चूहों की त्वचा पर लगाया और पाया कि हेयर फॉलिकल्स की वृद्धि तेजी से हुई। हालांकि, यह शोध अभी इंसानों पर नहीं किया गया है, इसलिए इसे बाज़ार में उपलब्ध हेयर ग्रोथ प्रोडक्ट के रूप में देखना अभी संभव नहीं है।
गंजेपन को स्वीकारना भी है एक विकल्प
अमेरिकी कॉमेडियन लैरी डेविड, जो खुद गंजे हैं, गंजेपन को स्वीकारने की खुलकर वकालत करते हैं। उनका मानना है कि टोपी, हेयर ट्रांसप्लांट या अन्य छिपाने वाले उपाय अपनाने की बजाय इसे अपनाना बेहतर है। उन्होंने कहा था कि, “हमें टेस्टोस्टेरोन इतनी मात्रा में मिला है कि हम सबसे पहले गंजे हो गए।