10 रुपये का सिक्का नकली है या असली? बस देखें ये 1 चीज़ – तुरंत हो जाएगी पहचान

क्या आपको लगता है कि 10 रुपये का सिक्का नकली हो सकता है? जानिए कैसे यह सिक्का पूरी तरह से वैध है और इसका सही इस्तेमाल कैसे करें। अगर आपने कभी इसे लेकर संदेह किया है, तो यह लेख आपको सारी जानकारी देगा कि यह सिक्का कानूनी रूप से मान्य है और इसे कहाँ इस्तेमाल कर सकते हैं!

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10 रुपये का सिक्का नकली है या असली? जानें एक तरीका!

भारत में 10 रुपये का सिक्का, जिसे बाय-मेटैलिक सिक्का कहा जाता है, बहुत ही खास है। इसमें दो धातुएं मिलाकर इसे बनाया जाता है – बाहरी रिंग ऐल्युमिनियम-ब्रास से और केंद्रीय हिस्से में कॉपर-निकल का मिश्रण होता है। इस सिक्के का व्यास 27 मिमी और वजन 7.74 ग्राम है। यह सिक्का 2005 से प्रचलन में है और अब तक इसके कई डिज़ाइन जारी किए जा चुके हैं। ऐसे में यह जानना बेहद ज़रूरी है कि असली सिक्का किस तरह से पहचाना जाए, ताकि आपको धोखाधड़ी का सामना न करना पड़े।

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सिक्के की वैधता

10 रुपये का सिक्का भारतीय मुद्रा का हिस्सा है और इसे देश भर में किसी भी लेन-देन के लिए कानूनी रूप से स्वीकार किया जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इसे वैध रूप से जारी किया है और यह किसी भी व्यवसाय, दुकानदार, बैंक या व्यक्ति द्वारा ली जा सकती है। इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति या व्यवसाय द्वारा 10 रुपये के सिक्के को लेने से मना किया जाता है, तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 489A से 489E के तहत एक अपराध हो सकता है।

क्या होता है बाय-मेटैलिक सिक्का?

बाय-मेटैलिक सिक्का वह सिक्का होता है, जिसमें दो विभिन्न धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है। 10 रुपये का सिक्का बाय-मेटैलिक डिज़ाइन में होने के कारण इसे खास माना जाता है। यह न केवल इसके वजन और आकार को स्थिर बनाए रखता है, बल्कि इसके मिश्रण से सिक्के की जीवनकाल भी लंबा होता है। ऐल्युमिनियम-ब्रास बाहरी रिंग और कॉपर-निकल केंद्र मिलकर इसे मजबूत और टिकाऊ बनाते हैं।

आरबीआई की पॉलिसी

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ओर से जारी किए गए सभी 10 रुपये के सिक्के पूरी तरह से वैध हैं। इन्हें भारतीय संसद और संविधान द्वारा मंजूरी दी गई है। आरबीआई ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि 10 रुपये का सिक्का बिना किसी परेशानी के इस्तेमाल किया जा सकता है और कोई भी इसे कानूनी मुद्रा के रूप में स्वीकार करने से मना नहीं कर सकता।

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सिक्के की पहचान कैसे करें

इस सिक्के की असलियत को पहचानने के लिए कुछ बुनियादी चीज़ों का ध्यान रखना आवश्यक है। सबसे पहला संकेत है सिक्के के बाहरी रिंग में कुल 10 रेज़ (स्ट्राइप्स) का होना। यदि सिक्के में इनकी संख्या 15 हो तो वह नकली हो सकता है। असली सिक्के में अशोक स्तंभ साफ-साफ और स्पष्ट दिखाई देता है, जबकि नकली सिक्के में यह धुंधला हो सकता है।
इसके अलावा, यदि आप ध्यान से देखें तो असली सिक्के में रुपये का प्रतीक (₹) भी नजर आता है। यह प्रतीक 2011 से जारी सिक्कों में होता है। अगर यह प्रतीक नहीं है, तो यह पुराना सिक्का हो सकता है, जो फिर भी वैध है।

एक और महत्वपूर्ण बिंदु है कि असली सिक्के में “भारत” और “INDIA” अलग-अलग स्थानों पर होते हैं, जबकि नकली सिक्के में ये दोनों शब्द एक साथ और ऊपर की ओर होते हैं। इसके अलावा, सिक्के में “सत्यमेव जयते” का आकार भी बहुत महत्व रखता है। असली सिक्के में यह छोटे और स्पष्ट अक्षरों में होता है, जबकि नकली सिक्के में यह बड़े और धुंधले हो सकते हैं।
इन सभी पहलुओं पर ध्यान देने से आप आसानी से नकली सिक्के की पहचान कर सकते हैं।

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