
पर्सनल लोन (Personal Loan) आज के समय में लोगों की जरूरतों को पूरा करने का एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुका है, लोग शादी, मेडिकल इमरजेंसी, या अन्य व्यक्तिगत खर्चों के लिए लोग बैंक या फाइनेंशियल कंपनियों से पर्सनल लोन लेते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति किसी कारणवश इस लोन की किस्त समय पर नहीं चुका पाता। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कोई पर्सनल लोन नहीं चुकाता तो क्या उसे जेल (Jail) हो सकती है?
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क्या पर्सनल लोन नहीं चुकाने पर जेल हो सकती है?
भारतीय कानून के तहत पर्सनल लोन नहीं चुकाने को आपराधिक अपराध (Criminal Offence) की श्रेणी में नहीं रखा गया है, बल्कि यह एक सिविल डिफॉल्ट (Civil Default) होता है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या आर्थिक तंगी के कारण लोन की किस्त नहीं चुका पाता, तो उसे सीधे जेल नहीं भेजा जा सकता।
हालांकि, यदि लोन लेने वाले ने जानबूझकर गलत दस्तावेज या धोखाधड़ी (Fraud) करके लोन लिया है, तो यह मामला आपराधिक हो सकता है और इस स्थिति में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 417 (धोखाधड़ी) और 420 (छल) के तहत मामला दर्ज हो सकता है, जिससे गिरफ्तारी संभव है।
बैंक या फाइनेंसर क्या कार्रवाई कर सकते हैं?
जब कोई व्यक्ति पर्सनल लोन की ईएमआई (EMI) समय पर नहीं चुकाता, तो बैंक या एनबीएफसी (NBFC) कुछ कानूनी प्रक्रिया अपनाते हैं:
- सबसे पहले वे ग्राहक को रिमाइंडर भेजते हैं – कॉल, मैसेज और ईमेल के माध्यम से।
- अगर कई बार रिमाइंडर के बावजूद भी भुगतान नहीं होता, तो वसूली एजेंट (Recovery Agent) भेजे जाते हैं।
- लगातार डिफॉल्ट की स्थिति में अकाउंट को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित किया जाता है।
- फिर बैंक अदालत में सिविल केस दर्ज कर सकता है और अदालत के आदेश से वेतन कटौती (Salary Garnishment), बैंक अकाउंट सीज और प्रॉपर्टी अटैचमेंट जैसी कार्रवाई की जा सकती है।
- यदि लोन सिक्योर्ड है (जैसे गारंटी या गिरवी), तो उस संपत्ति की नीलामी की जा सकती है।
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क्या रिकवरी एजेंट दबाव डाल सकते हैं?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, कोई भी वसूली एजेंट ग्राहक को शारीरिक, मानसिक या सामाजिक रूप से परेशान नहीं कर सकता। सुबह 8 बजे से पहले और रात 7 बजे के बाद वसूली के लिए फोन या विज़िट करना नियमों के खिलाफ है। ग्राहक अगर खुद को परेशान महसूस करता है तो वह इसकी शिकायत सीधे बैंक, एनबीएफसी या आरबीआई से कर सकता है।
सिविल जेल का प्रावधान
हालांकि डिफॉल्ट सिविल अपराध है, लेकिन कुछ मामलों में अदालत की अवमानना या कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने पर सिविल जेल भेजा जा सकता है। जैसे कि यदि अदालत लोन भुगतान का आदेश देती है और व्यक्ति बार-बार अनुपस्थित रहता है या आदेश का पालन नहीं करता, तो कोर्ट उसे सिविल जेल भेज सकती है। लेकिन यह प्रक्रिया लम्बी और अदालत के आदेश पर आधारित होती है।
लोन डिफॉल्ट से क्रेडिट स्कोर पर असर
अगर व्यक्ति पर्सनल लोन चुकाने में चूक करता है तो इसका सीधा असर उसके सिबिल स्कोर (CIBIL Score) पर पड़ता है। सिबिल स्कोर खराब होने से भविष्य में किसी भी प्रकार का लोन – चाहे वह होम लोन, कार लोन या क्रेडिट कार्ड – मिलने में कठिनाई होती है।
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समाधान क्या हो सकते हैं?
- बैंक से बात करें: अगर आर्थिक समस्या है, तो बैंक को स्थिति की जानकारी देकर रिस्ट्रक्चरिंग या मोराटोरियम की मांग की जा सकती है।
- सेटलमेंट का विकल्प: कई बार बैंक और ग्राहक के बीच आपसी सहमति से लोन सेटलमेंट किया जा सकता है। हालांकि इससे भी क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है।
- लीगल सलाह लें: यदि मामला गंभीर हो तो किसी कानूनी सलाहकार से सलाह लेना सबसे उपयुक्त होता है।