
बकरी पालन अब सिर्फ पारंपरिक पशुपालन नहीं रहा, बल्कि यह एक उभरता हुआ व्यवसाय बन चुका है। उत्तर प्रदेश (UP) समेत देशभर में सरकार किसानों को बकरी पालन के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी और ऋण देकर प्रोत्साहित कर रही है। बकरी पालन योजना के तहत किसान केवल दो लाख रुपये निवेश कर 100 बकरी और पांच बकरों का पालन शुरू कर सकते हैं, जिससे सालाना 9 लाख रुपये तक की आमदनी संभव है।
सरकार की नई योजना से बढ़ा बकरी पालन का आकर्षण
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के फरह क्षेत्र में स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (Central Institute for Research on Goats) किसानों को बकरी पालन के वैज्ञानिक प्रशिक्षण से जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद किसान सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर बकरी पालन को लाभकारी व्यवसाय बना सकते हैं।
केंद्रीय संस्थान के निदेशक मनीष कुमार चेटली के अनुसार, सरकार बकरी पालन को एक संगठित उद्यम के रूप में देख रही है। यही कारण है कि National Livestock Mission और PM Self Employment Scheme जैसी योजनाओं के अंतर्गत सरकार किसानों को प्रशिक्षण, ऋण और सब्सिडी दे रही है।
निवेश केवल दो लाख रुपये, मिलेगा 18 लाख का ऋण
बकरी पालन योजना के अंतर्गत किसानों को कुल 20 लाख रुपये की परियोजना पर काम करने का अवसर दिया जा रहा है। इसमें दो लाख रुपये का निवेश किसान को स्वयं करना होता है, जबकि शेष 18 लाख रुपये का ऋण सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाता है। इस ऋण पर 50% तक की सब्सिडी का प्रावधान भी किया गया है, यानी कि लगभग 9 लाख रुपये की सहायता सीधे सरकार से मिलती है।
डॉ. ए.के. दीक्षित, जो कि संस्थान के प्रसार शिक्षा एवं सामाजिक अर्थशास्त्र अनुभाग के प्रभारी हैं, बताते हैं कि सही प्रशिक्षण और देखरेख से किसान बकरी पालन से हर साल 9 लाख रुपये तक की आय कर सकते हैं। संस्थान में वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 10 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें देशभर के 24 राज्यों से किसान हिस्सा लेते हैं।
नस्ल सुधार से लेकर मार्केटिंग तक की दी जाती है ट्रेनिंग
प्रशिक्षण कार्यक्रमों में किसानों को नस्ल सुधार, पोषण एवं स्वास्थ्य प्रबंधन, कृत्रिम गर्भाधान, दूध एवं मांस संवर्धन, और बाजार में बिक्री की रणनीति जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी दी जाती है। इससे किसान केवल पशुपालक नहीं, बल्कि एक कुशल उद्यमी के रूप में विकसित होते हैं।
पुष्पेंद्र शर्मा और दीपक कुमार, जो संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी हैं, बताते हैं कि संस्थान द्वारा दी जाने वाली जानकारी से न सिर्फ किसान प्रशिक्षित हो रहे हैं बल्कि वे बकरी पालन को स्थायी आय का स्रोत भी बना रहे हैं।
देश में बकरियों की संख्या में हो रही वृद्धि
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2012 में भारत में 135 मिलियन बकरियां थीं, जो कि 2019 में बढ़कर 149 मिलियन हो गईं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि बकरी पालन में लोगों की रुचि तेजी से बढ़ रही है। देश में फिलहाल लगभग 3.25 करोड़ लोग बकरी पालन से जुड़े हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
अनुसूचित जाति/जनजाति और महिलाओं को अलग लाभ
जहां सामान्य किसानों को योजनाओं के अंतर्गत 25 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है, वहीं अनुसूचित जाति और महिलाओं को विशेष रूप से 35 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का प्रावधान भी है। इससे यह स्पष्ट है कि सरकार सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों को भी इस व्यवसाय से जोड़कर उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करना चाहती है।
पीएम स्वरोजगार योजना (PM Self Employment Scheme) के तहत किसान 50 बकरी और तीन बकरों की योजना से शुरुआत कर सकते हैं। इसमें 10 से 15 लाख रुपये तक का आर्थिक सहयोग मिलता है।
बकरी पालन से आत्मनिर्भरता की ओर कदम
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के अधिकारियों का मानना है कि यदि किसान हरी चारे की उपलब्धता, स्वास्थ्य की नियमित निगरानी, और पोषण संतुलन पर ध्यान दें, तो वे बकरी पालन को एक मजबूत व्यवसाय में बदल सकते हैं। बकरी पालन के प्रति किसानों का बढ़ता रुझान यह संकेत देता है कि ग्रामीण भारत में यह एक विकासशील उद्यम का रूप ले चुका है।
संस्थान के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद कई किसान अपने-अपने जिलों में सफल बकरी पालन कर रहे हैं और सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ उठा रहे हैं।