
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो बिहार में 100% डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी। इस नीति के तहत राज्य की सभी सरकारी नौकरियों में केवल बिहार के मूल निवासियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी।
डोमिसाइल नीति का उद्देश्य और संभावित प्रभाव
डोमिसाइल नीति का मुख्य उद्देश्य स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देना है। तेजस्वी यादव का मानना है कि इससे बिहार के युवाओं को राज्य में ही रोजगार के अवसर मिलेंगे और उन्हें अन्य राज्यों में पलायन नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस नीति से राज्य में ‘रिवर्स माइग्रेशन’ को बढ़ावा मिलेगा, यानी बाहर गए लोग वापस बिहार लौटेंगे।
भाजपा की प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव के इस ऐलान पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि यह वादा युवाओं को गुमराह करने वाला है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि बिहार में यह नीति लागू होती है, तो अन्य राज्य भी ऐसा ही कदम उठा सकते हैं, जिससे बिहार के युवाओं के लिए अन्य राज्यों में नौकरी पाना मुश्किल हो सकता है।
छात्र संगठनों की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर छात्र संगठनों ने भी प्रतिक्रिया दी है। बिहार स्टूडेंट यूनियन ने 5 जून को डोमिसाइल नीति के समर्थन में महाआंदोलन की घोषणा की है। उनका कहना है कि यह नीति बिहार के युवाओं के लिए आवश्यक है और इससे उन्हें उनके राज्य में ही रोजगार के अवसर मिलेंगे।
अन्य राज्यों में डोमिसाइल नीति
भारत के कई राज्यों में डोमिसाइल नीति लागू है। महाराष्ट्र में मराठी भाषी स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाती है और आवेदक को कम से कम 15 साल से वहां रहना अनिवार्य होता है। उत्तराखंड में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां केवल स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित हैं। गुजरात, कर्नाटक, असम, और पूर्वोत्तर राज्यों में भी स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता देने के अलग-अलग नियम हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में ऐसी कोई नीति नहीं है।
डोमिसाइल नीति के फायदे और चुनौतियां
फायदे:
- स्थानीय युवाओं को नौकरी और सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता।
- राज्य की प्रतिभा को बाहर पलायन करने से रोकना।
- सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करना।
चुनौतियां:
- संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 (समानता और अवसर का अधिकार) से टकराव।
- दूसरे राज्यों में नौकरी करने वाले बिहारियों के लिए कठिनाई।
- अन्य राज्यों द्वारा जवाबी नीति लागू करने की आशंका।
- संभावित कानूनी विवाद।