
बढ़ती महंगाई और बदलते आर्थिक परिवेश में यह सवाल अक्सर उठता है कि घर खरीदें या किराए पर रहें। यह फैसला न सिर्फ भावनात्मक होता है बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। खासकर मेट्रो शहरों जैसे दिल्ली-NCR, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद में जहां रियल एस्टेट मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, वहां यह सवाल और भी अहम हो जाता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो इस फैसले को लेने से पहले आपकी आय, खर्च, निवेश विकल्प और भविष्य की योजनाओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
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क्यों घर खरीदना भावनात्मक के साथ-साथ आर्थिक निवेश भी है?
भारत में घर खरीदना अब भी सामाजिक और भावनात्मक पहचान से जुड़ा है। बहुत से लोग इसे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। लेकिन अगर केवल आर्थिक नजरिए से देखा जाए, तो यह एक बड़ा निवेश होता है। घर खरीदने पर डाउन पेमेंट, होम लोन, ब्याज दरें, रजिस्ट्री शुल्क और मेंटेनेंस चार्ज जैसी कई लागतें शामिल होती हैं।
उदाहरण के तौर पर, यदि आप दिल्ली-NCR में 70 लाख रुपये का फ्लैट खरीदते हैं तो आपको लगभग 14-15 लाख रुपये डाउन पेमेंट और लगभग 55 लाख रुपये का लोन लेना होगा। 20 वर्षों की अवधि के लिए 9% ब्याज दर पर यह लोन करीब 1.15 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
किराए पर रहना कितना फायदेमंद?
किराए पर रहने की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आपको लोकेशन, नौकरी और जीवनशैली में लचीलापन देता है। यदि आप हर महीने 25,000 से 30,000 रुपये किराया देते हैं, तो लंबे समय तक रहने पर भी आपकी लागत एक घर खरीदने से कम होती है। इसके अलावा, किराएदार के रूप में आपको मेंटेनेंस, टैक्स और अन्य जिम्मेदारियों से भी राहत मिलती है।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि आपकी नौकरी अस्थिर है या आप भविष्य में शहर बदलने की सोच रहे हैं तो किराए पर रहना बेहतर विकल्प हो सकता है।
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कौन-से फैक्टर करें निर्णय को प्रभावित?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक निम्नलिखित फैक्टर तय करते हैं कि आपको घर खरीदना चाहिए या किराए पर रहना चाहिए:
- इनकम स्टेबिलिटी: यदि आपकी आमदनी स्थिर है और आप एक शहर में लंबे समय तक रहने की योजना बना रहे हैं तो घर खरीदना समझदारी है।
- प्रॉपर्टी मार्केट का ट्रेंड: अगर किसी शहर में प्रॉपर्टी के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं, तो खरीदना बेहतर हो सकता है।
- EMI vs Rent: अगर आपकी EMI और वर्तमान किराया लगभग समान हैं तो खरीदने पर विचार किया जा सकता है।
- लाइफस्टाइल लचीलापन: अक्सर युवा प्रोफेशनल्स किराए पर रहना पसंद करते हैं क्योंकि इससे लोकेशन बदलना आसान होता है।
टैक्स बेनिफिट्स क्या हैं?
घर खरीदने पर आप आयकर अधिनियम की धारा 80C और 24(b) के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं। वर्तमान नियमों के अनुसार:
- 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट (प्रिंसिपल अमाउंट पर)
- 24(b) के तहत 2 लाख रुपये तक की छूट (इंटरेस्ट पर)
हालांकि इन लाभों का पूरा फायदा तभी होता है जब आपकी आय उच्च स्लैब में आती है।
होम लोन की बदलती दरों का क्या असर?
ब्याज दरें समय-समय पर बदलती रहती हैं। जैसे ही RBI रेपो रेट में बदलाव करता है, बैंकों की होम लोन दरें भी प्रभावित होती हैं। पिछले कुछ सालों में ब्याज दरें 6.5% से बढ़कर 9% तक पहुंच चुकी हैं। इससे आपकी EMI में बढ़ोतरी हो सकती है, जो आपकी मासिक बजट पर असर डालती है।
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एक्सपर्ट्स क्या सलाह देते हैं?
फाइनेंशियल प्लानर्स की सलाह है कि घर खरीदने का फैसला तभी करें जब:
- आपकी आमदनी स्थिर हो
- आप कम से कम 10 साल एक ही शहर में रहना चाहते हों
- आपके पास डाउन पेमेंट के लिए पर्याप्त फंड हो
- आपकी EMI आपकी कुल मासिक आय का 40% से ज्यादा न हो
यदि इन शर्तों में से कोई पूरी नहीं होती, तो फिलहाल किराए पर रहना ही समझदारी होगी।
भविष्य की दृष्टि: स्मार्ट सिटीज़ और रियल एस्टेट
भारत में स्मार्ट सिटीज़ और मेट्रो कनेक्टिविटी जैसी योजनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इससे प्रॉपर्टी के मूल्य में वृद्धि की संभावनाएं बनी हुई हैं। लेकिन रियल एस्टेट में निवेश को लंबे समय का नजरिया लेकर करना चाहिए। यदि आप जल्द मुनाफा चाहते हैं तो IPO, स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड्स जैसे विकल्प बेहतर हो सकते हैं।