
चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) उत्तराखंड की सबसे पवित्र धार्मिक यात्राओं में से एक है, जिसमें हर साल लाखों श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन करने पहुंचते हैं। हालांकि, इस धार्मिक यात्रा को करने से पहले एक जरूरी शर्त है जिसे पूरा करना हर यात्री के लिए अनिवार्य है—मेडिकल सर्टिफिकेट। जी हां, उत्तराखंड सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मेडिकल प्रमाणपत्र (Medical Certificate) को अनिवार्य कर दिया है। इसके बिना कोई भी यात्री चारधाम यात्रा में शामिल नहीं हो सकता।
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क्यों जरूरी है मेडिकल सर्टिफिकेट?
चारधाम यात्रा की भौगोलिक परिस्थितियां अत्यंत कठिन हैं। यात्रा के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों से गुजरना होता है, जहां ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और तापमान अचानक गिर सकता है। विशेष रूप से केदारनाथ की यात्रा में 3,500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर चढ़ाई करनी पड़ती है। इन विषम परिस्थितियों में केवल वे ही यात्री सुरक्षित यात्रा कर सकते हैं जिनकी सेहत पूरी तरह से ठीक हो। इसी कारण सरकार ने यह नियम बनाया है कि प्रत्येक यात्री को यात्रा शुरू करने से पहले एक फिटनेस प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।
मेडिकल सर्टिफिकेट कहां से बनवाएं?
चारधाम यात्रा के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट उत्तराखंड सरकार द्वारा अधिकृत अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से ही मान्य होंगे। इन अस्पतालों की सूची उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध होती है। यात्रियों को चाहिए कि वे किसी भी अधिकृत सरकारी अस्पताल में जाकर डॉक्टर से परीक्षण करवाएं और वहां से सर्टिफिकेट प्राप्त करें।
उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली जैसे जिलों में कई स्वास्थ्य केंद्र इस प्रक्रिया के लिए अधिकृत हैं। इसके अलावा कुछ सीमावर्ती जिलों में भी यह सुविधा दी गई है ताकि यात्रा शुरू होने से पहले ही सभी जरूरी जांचें हो सकें।
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मेडिकल चेकअप में क्या होता है?
मेडिकल परीक्षण में मुख्य रूप से ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल, ऑक्सीजन सैचुरेशन (SpO2), पल्स रेट, और अन्य जरूरी जांचें शामिल होती हैं। यदि यात्री किसी गंभीर बीमारी जैसे कि हृदय रोग, अस्थमा, या उच्च रक्तचाप से ग्रसित है, तो उन्हें यात्रा की अनुमति नहीं दी जाती या विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
मेडिकल सर्टिफिकेट की वैधता
चारधाम यात्रा के लिए जारी किया गया मेडिकल सर्टिफिकेट केवल 15 दिन तक ही वैध होता है। इसका मतलब है कि प्रमाणपत्र जारी होने के 15 दिन के भीतर ही यात्रा शुरू करनी होगी, अन्यथा नया सर्टिफिकेट बनवाना अनिवार्य होगा।
यात्रा रजिस्ट्रेशन के साथ मेडिकल सर्टिफिकेट भी जरूरी
चारधाम यात्रा के लिए यात्रा पंजीकरण (Registration) अनिवार्य है और इसके साथ मेडिकल सर्टिफिकेट भी प्रस्तुत करना होता है। पंजीकरण के बिना और बिना मेडिकल सर्टिफिकेट के आपको यात्रा की अनुमति नहीं मिलेगी। पंजीकरण प्रक्रिया ऑनलाइन पोर्टल या सरकार द्वारा निर्धारित सहायता केंद्रों से की जा सकती है।
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क्या निजी अस्पताल का सर्टिफिकेट मान्य होगा?
इस प्रश्न का उत्तर है – नहीं। केवल उत्तराखंड सरकार द्वारा अधिकृत सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र से ही जारी किया गया मेडिकल प्रमाणपत्र ही मान्य होगा। निजी अस्पतालों या अन्य राज्यों के निजी डॉक्टरों द्वारा जारी सर्टिफिकेट अमान्य माने जाएंगे।
मेडिकल सर्टिफिकेट के बिना यात्रा करने पर क्या होगा?
यदि कोई यात्री बिना मेडिकल सर्टिफिकेट के यात्रा करता पाया जाता है, तो उसे यात्रा मार्ग से रोका जा सकता है या जुर्माना लगाया जा सकता है। कई चेक पोस्ट और हेल्थ चेकपॉइंट यात्रा मार्गों में बनाए गए हैं, जहां सर्टिफिकेट की जांच की जाती है।
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वरिष्ठ नागरिकों और बीमार यात्रियों के लिए विशेष निर्देश
यदि आप 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं या किसी दीर्घकालिक बीमारी से ग्रसित हैं, तो यात्रा से पहले अपने निजी डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और आवश्यक दवाएं साथ रखें। हालांकि, अंतिम निर्णय अधिकृत मेडिकल टीम द्वारा ही लिया जाएगा कि आप यात्रा के लिए फिट हैं या नहीं।