
हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की संपत्ति पर पत्नी के अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसने कानूनी और परिवार से जुड़ें मामलों में स्पष्टता लाई है। कोर्ट ने यह कहा कि पति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर पत्नी का वही अधिकार होता है जो उसके पति का था, लेकिन इस पर बच्चों का भी समान हक होता है, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पत्नी को संपत्ति पर केवल उपभोग का अधिकार होता है, न कि सम्पूर्ण स्वामित्व। खासकर जब पत्नी खुद कोई आय नहीं कमा रही हो, तो उसका अधिकार संपत्ति पर सीमित ही माना जाएगा।
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वसीयत में स्पष्ट प्रावधान
इस मामले में चार भाई-बहनों (तीन बेटे और एक बेटी) ने संपत्ति के बंटवारे को लेकर ट्रायल कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। उनके पिता ने 1989 में एक वसीयत लिखी थी, जिसमें अपनी सारी संपत्ति पत्नी के नाम कर दी थी। वसीयत में स्पष्ट किया गया था कि पत्नी को संपत्ति से किराया वसूलने और उसका उपयोग करने का अधिकार होगा, लेकिन उसे बेचने या किसी और के नाम करने का अधिकार नहीं होगा।
इस वसीयत के अनुसार:
- पत्नी संपत्ति से किराया वसूल सकती थी।
- पत्नी संपत्ति का व्यक्तिगत उपयोग कर सकती थी।
- पत्नी इसे न तो बेच सकती थी और न ही किसी अन्य के नाम कर सकती थी।
- पत्नी की मृत्यु के बाद संपत्ति चार बेटों को छोड़कर बाकी उत्तराधिकारियों में बांटी जाएगी।
2012 में पत्नी की मृत्यु के बाद यह वसीयत प्रभाव में आई, जिससे संपत्ति का बंटवारा ट्रायल कोर्ट के आदेशानुसार हुआ। ट्रायल कोर्ट ने तीन बेटों और पोती के पक्ष में फैसला दिया, क्योंकि वसीयत में स्पष्ट था कि पत्नी को केवल उपयोग का अधिकार था, पूर्ण स्वामित्व नहीं।
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हाईकोर्ट का फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पति द्वारा बनाई गई वसीयत में पत्नी को संपत्ति पर अधिकार तो दिया गया था, लेकिन वह इसे न तो बेच सकती है और न ही किसी और के नाम कर सकती है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पत्नी का अधिकार केवल वसीयत के माध्यम से ही मान्य है, पति की मृत्यु से पहले तक उसका कोई अधिकार नहीं होता।
पत्नी का पति की संपत्ति पर अधिकार कब और कैसे?
- यदि पति बिना वसीयत लिखे मर जाता है, तो पत्नी को उसकी संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलता है।
- यदि वसीयत में केवल उपभोग का अधिकार दिया गया हो, तो पत्नी सम्पत्ति बेच नहीं सकती और पत्नी की मृत्यु के बाद यह संपत्ति पति के विधिक उत्तराधिकारियों में विभाजित होती है।
- पति के जीवित रहते पत्नी को पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता, यह अधिकार केवल पुत्र और पुत्रियों का होता है।
- यदि पति और पत्नी अलग हो जाते हैं, तो पत्नी को भरण-पोषण का अधिकार होता है, लेकिन संपत्ति पर स्वामित्व का नहीं।
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पत्नी की संपत्ति पर पति का अधिकार
पत्नी के जीवित रहते उसकी व्यक्तिगत संपत्ति पर पति का कोई अधिकार नहीं होता। यदि पत्नी अपने स्वामित्व की किसी संपत्ति का वसीयत पति के नाम करती है, तो पत्नी की मृत्यु के बाद पति उस संपत्ति का अधिकार प्राप्त कर सकता है। बिना वसीयत की स्थिति में भी पत्नी की संपत्ति पर पति का अधिकार होता है, लेकिन पुत्र या पुत्रियों की उपस्थिति में पहला अधिकार उनका होता है।
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क्या होता है ‘स्त्रीधन’?
स्त्रीधन वह होता है जो विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों और उत्सवों में महिला को प्राप्त होता है। इस पर महिला का पूर्ण स्वामित्व होता है और इसे उसकी निजी संपत्ति माना जाता है। यदि किसी महिला को उसके स्त्रीधन से वंचित किया जाता है, तो इसे घरेलू हिंसा माना जाता है और कानूनी संरक्षण उपलब्ध होता है