जिस आर्मी से जुड़े हैं धोनी और सचिन पायलट, अब बॉर्डर पर तैनाती की तैयारी, जानिए क्या है वजह!

महेंद्र सिंह धोनी और सचिन पायलट, दोनों ही टेरिटोरियल आर्मी के हिस्से हैं। अब भारत-पाक तनाव के बीच इनकी सीमाओं पर तैनाती की तैयारी शुरू हो चुकी है। यह लेख बताएगा कैसे खिलाड़ी और नेता भी युद्ध की अग्रिम पंक्ति में खड़े हो सकते हैं। पढ़िए पूरी कहानी जो आपको गर्व से भर देगी।

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धोनी और सचिन पायलट की आर्मी अब बॉर्डर पर तैनात, जानें वजह!

जिस आर्मी से महेंद्र सिंह धोनी और सचिन पायलट जैसे प्रतिष्ठित चेहरे जुड़े हैं, वह अब एक बार फिर चर्चा में है। टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army), जिसे भारतीय सेना की सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस कहा जाता है, को लेकर बड़ी खबर आई है। भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के चलते अब टेरिटोरियल आर्मी के अफसरों और सैनिकों को बॉर्डर पर तैनात करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। खास बात यह है कि धोनी और पायलट दोनों ही इस स्वैच्छिक बल के सक्रिय सदस्य हैं और पहले भी सेवा दे चुके हैं।

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क्या है टेरिटोरियल आर्मी और क्यों है खास

टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) भारतीय सेना की एक विशिष्ट शाखा है, जिसमें आम नागरिक भी देश सेवा कर सकते हैं। यह कोई फुल-टाइम फोर्स नहीं है, बल्कि इसे आपातकालीन और विशेष परिस्थितियों में तैनात किया जाता है। इसे मिलिट्री की ‘सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस’ कहा जाता है। इसमें डॉक्टर, इंजीनियर, खिलाड़ी और राजनेता जैसे प्रोफेशनल भी शामिल होते हैं, जो सामान्य दिनों में अपने काम में व्यस्त रहते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर वर्दी पहनकर राष्ट्र सेवा में जुट जाते हैं।

धोनी की सैन्य भूमिका और सेवा का इतिहास

महेंद्र सिंह धोनी को वर्ष 2011 में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी। वे पैराशूट रेजिमेंट का हिस्सा हैं और 2015 में उन्होंने पैराट्रूपर के रूप में पांच छलांग लगाकर अपना सैन्य प्रशिक्षण भी पूरा किया था। 2019 में धोनी ने जम्मू-कश्मीर में विक्टर फोर्स के साथ दो सप्ताह की तैनाती भी निभाई थी। इस दौरान वे अपनी यूनिट के साथ गश्त, सुरक्षा व्यवस्था और अन्य सैन्य गतिविधियों में शामिल रहे थे। धोनी ने यह साबित किया कि वे केवल क्रिकेट के ही नहीं, बल्कि देश सेवा के भी सितारे हैं।

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सचिन पायलट की फौजी पृष्ठभूमि और सक्रियता

राजस्थान के युवा नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने 2012 में टेरिटोरियल आर्मी में बतौर लेफ्टिनेंट एंट्री की थी। वे भारत के पहले ऐसे राजनेता बने जिन्होंने सेना की परीक्षा पास करके वर्दी हासिल की थी। वे वर्तमान में कैप्टन रैंक पर कार्यरत हैं और हाल ही में उन्होंने मेजर पद के लिए प्रमोशन की परीक्षा दी है। पायलट न केवल राजनीतिक क्षेत्र में बल्कि सैन्य अनुशासन में भी अपनी पहचान बना चुके हैं। उनका ये फौजी रुझान उनके पिता राजेश पायलट से आया है, जो खुद एयरफोर्स पायलट थे।

भारत-पाकिस्तान तनाव और तैनाती की आवश्यकता

हाल के दिनों में भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय ने टेरिटोरियल आर्मी को सक्रिय मोड में लाने के संकेत दिए हैं। ऐसे में धोनी और पायलट जैसे अधिकारी फिर से सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। रक्षा मंत्रालय की ओर से संकेत मिले हैं कि यदि ऑपरेशन सिंदूर या अन्य सैन्य ऑपरेशन शुरू होते हैं, तो टेरिटोरियल आर्मी की 14 इन्फैंट्री बटालियन को सीमावर्ती इलाकों में तैनात किया जा सकता है। इस बार यह कोई रूटीन अभ्यास नहीं, बल्कि रणनीतिक कदम हो सकता है।

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राष्ट्रीय सुरक्षा में नागरिकों की भूमिका का उदाहरण

धोनी और पायलट का टेरिटोरियल आर्मी से जुड़ाव सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे अलग-अलग पेशेवर पृष्ठभूमि वाले लोग भी देश की रक्षा में योगदान दे सकते हैं। यह नागरिक समाज और सैन्य तंत्र के बीच की खाई को पाटने का बेहतरीन उदाहरण है। जब क्रिकेटर और राजनेता सीमा पर खड़े होते हैं, तो यह संदेश जाता है कि राष्ट्रसेवा केवल वर्दीधारी सैनिकों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर देशवासी की है।

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