किसान ध्यान दें! नहीं बनवाई ये खास ID तो सरकारी स्कीम से होंगे बाहर

अगर आप किसान हैं और सरकारी स्कीमों से मिल रही सहायता का लाभ उठा रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सरकार ने एक नई अनिवार्यता लागू कर दी है—जिसे नजरअंदाज किया तो पीएम-किसान, बीमा, क्रेडिट कार्ड जैसी सभी सुविधाएं बंद हो सकती हैं। जानिए क्या है ये खास ID और कैसे बनवाएं इसे

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किसान ध्यान दें! नहीं बनवाई ये खास ID तो सरकारी स्कीम से होंगे बाहर
किसान ध्यान दें! नहीं बनवाई ये खास ID तो सरकारी स्कीम से होंगे बाहर

देशभर के किसानों के लिए एक अहम सूचना सामने आई है, यदि आप भी किसान है, और सरकारी योजनाओं का फायदा उठाना चाहते है, तो आपको भी फार्मर आईडी (Farmer ID) बनवाना अनिवार्य है, बिना फार्मर आईडी के आप किसी भी कृषि संबंधी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे कृषि मंत्रालय ने यह निर्णय किसानों की पहचान और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लिया है।

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क्या है फार्मर ID और क्यों है जरूरी

फार्मर आईडी (Farmer ID) एक यूनिक पहचान संख्या होगी जो भारत सरकार की ‘डिजिटल किसान डाटाबेस’ योजना के तहत सभी किसानों को दी जाएगी। इसका उद्देश्य देशभर के किसानों का एक केंद्रीकृत डिजिटल डेटाबेस तैयार करना है, जिससे सरकार सीधे किसानों को सब्सिडी, बीमा, ऋण और अन्य लाभ पहुंचा सके।

सरकार का कहना है कि फार्मर ID के जरिए न सिर्फ योजनाओं का ट्रैकिंग आसान होगा बल्कि फर्जीवाड़े को भी रोका जा सकेगा। इसके जरिए यह भी स्पष्ट होगा कि किस किसान को कौन-कौन सी सरकारी मदद पहले मिल चुकी है और किसे नहीं।

किन योजनाओं के लाभ के लिए जरूरी होगी यह ID

यदि आपने फार्मर ID नहीं बनवाई है तो आप प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN), किसान क्रेडिट कार्ड (KCC), पीएम फसल बीमा योजना, पीएम कृषि सिंचाई योजना, कृषि यंत्र सब्सिडी योजना जैसी कई लाभकारी स्कीमों से वंचित हो सकते हैं।

इसके साथ ही राज्य सरकारों की भी कई स्कीमें हैं जिनमें अब इस ID की अनिवार्यता हो सकती है।

कैसे बनवाएं फार्मर ID

फार्मर ID बनवाने के लिए किसान को अपने नजदीकी CSC (Common Service Centre) या कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क करना होगा। इसके लिए आधार कार्ड, बैंक खाता, जमीन की जानकारी और मोबाइल नंबर की आवश्यकता होगी।

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वर्तमान में यह प्रक्रिया डिजिटल फार्मर डेटाबेस (Digital Farmer Database) के तहत चल रही है और इसे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है।

सरकार इस ID को किसान के आधार नंबर से जोड़कर तैयार कर रही है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि हर किसान को एक ही ID मिले और कोई डुप्लीकेट न बने।

अब तक कितने किसानों की बनी है ID

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक देशभर के करीब 8.5 करोड़ किसानों को इस डेटाबेस से जोड़ा जा चुका है। सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को इस डिजिटल सिस्टम में शामिल किया जाए।

यह डेटा कृषि योजनाओं की निगरानी, पारदर्शिता और प्रभावशीलता में बड़ा बदलाव लाएगा।

किसका होगा फायदा और किसे होगी परेशानी

जिन किसानों ने पहले ही अपना आधार और भूमि विवरण सरकारी पोर्टलों पर रजिस्टर करवा रखा है, उन्हें यह प्रक्रिया बहुत आसान लगेगी। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों, जिनके पास तकनीकी जानकारी नहीं है या जिनके दस्तावेज अधूरे हैं, उन्हें इस प्रक्रिया में परेशानी हो सकती है।

सरकार ने ऐसे किसानों के लिए हेल्पलाइन नंबर और स्थानीय CSC सेंटर के माध्यम से मदद पहुंचाने की व्यवस्था की है।

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सरकार का लक्ष्य – तकनीक आधारित कृषि भविष्य

भारत सरकार की यह योजना डिजिटल इंडिया मिशन का हिस्सा है। सरकार चाहती है कि कृषि क्षेत्र भी तकनीकी रूप से सशक्त बने। इससे न सिर्फ योजनाओं का लाभ सीधा किसानों तक पहुंचेगा, बल्कि कृषि नीतियों को भी डेटा के आधार पर अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।

इस पहल से कृषि बीमा, फर्टिलाइज़र सब्सिडी, बीज वितरण, क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन, रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) से जुड़े उपकरणों की सब्सिडी जैसे क्षेत्रों में पारदर्शिता और प्रभावशीलता आएगी।

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