
अगर आप अपने घर का सपना साकार करना चाहते हैं और साथ ही टैक्स और स्टांप ड्यूटी में बचत करना चाहते हैं, तो पत्नी के नाम पर घर की रजिस्ट्री एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके नाम पर संपत्ति खरीद को बढ़ावा देने के लिए कई राज्यों में स्टांप ड्यूटी (Stamp Duty) में छूट देती है। यह स्कीम न केवल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देती है, बल्कि परिवार की कुल संपत्ति में भी संतुलन लाती है।
यह भी देखें: RRB NTPC 2025: रेलवे भर्ती परीक्षा की डेट और शेड्यूल जारी, अभी देख लें टाइमटेबल
इस योजना का लाभ उठाकर आप लाखों रुपये की बचत कर सकते हैं। हालांकि, बहुत से लोग इस फंडे को नहीं जानते या समझते, जिस कारण वे इस बड़े फायदे से चूक जाते हैं। आइए जानते हैं कैसे पत्नी के नाम घर की रजिस्ट्री कराना फायदेमंद हो सकता है।
महिला के नाम पर रजिस्ट्री करने पर कितनी छूट मिलती है?
भारत के कई राज्यों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति रजिस्टर्ड कराने पर स्टांप ड्यूटी में विशेष छूट मिलती है। उदाहरण के तौर पर:
- दिल्ली में पुरुषों के लिए स्टांप ड्यूटी 6% है, वहीं महिलाओं के लिए यह केवल 4% है। यदि प्रॉपर्टी की कीमत ₹50 लाख है, तो पुरुष को ₹3 लाख स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी, जबकि महिला को केवल ₹2 लाख ही देने होंगे – यानी ₹1 लाख की बचत।
- उत्तर प्रदेश में महिलाओं के लिए स्टांप ड्यूटी 6% और पुरुषों के लिए 7% है।
- राजस्थान जैसे राज्य महिलाओं को 1% तक की अतिरिक्त छूट भी देते हैं।
कुछ राज्य तो पूर्ण छूट भी देते हैं यदि महिला पहली बार प्रॉपर्टी खरीद रही हो और कुछ शर्तें पूरी हो रही हों।
टैक्स में भी मिलता है फायदा
पत्नी के नाम पर घर रजिस्टर्ड कराने से न केवल स्टांप ड्यूटी में बचत होती है, बल्कि टैक्स लाभ भी मिल सकते हैं। यदि महिला गृह स्वामिनी के रूप में दिखती है और उसकी आय अलग है, तो इन्कम टैक्स (Income Tax) में डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है।
हालांकि, यह तभी संभव है जब वह लोन की सह-उधारकर्ता (co-borrower) भी हो और ईएमआई का भुगतान कर रही हो। इससे हाउसिंग लोन के ब्याज पर सेक्शन 24(b) के अंतर्गत ₹2 लाख तक की छूट मिल सकती है और प्रिंसिपल अमाउंट पर सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट।
यह भी देखें: 8वें वेतन आयोग से झटका! 2.86 फिटमेंट फैक्टर के बावजूद सैलरी में नहीं होगी ज्यादा बढ़ोतरी
बैंकों और हाउसिंग कंपनियों की तरफ से भी राहत
कई बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां महिलाओं को लो इंटरेस्ट रेट (Low Interest Rate) पर होम लोन देती हैं। इसमें ब्याज दर आमतौर पर पुरुषों की तुलना में 0.05% से लेकर 0.10% तक कम होती है। लंबी अवधि में यह अंतर लाखों रुपये की बचत में तब्दील हो सकता है।
भविष्य में सुरक्षा और संपत्ति में संतुलन
पत्नी के नाम पर घर होने का मतलब है कि संपत्ति का मालिकाना हक महिला के पास है। इससे भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद, तलाक या उत्तराधिकार संबंधी मुद्दों में महिला को अधिक सुरक्षा मिलती है।
इसके अलावा, सरकार की कई स्कीमें जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में महिला के नाम पर संपत्ति होने पर प्राथमिकता दी जाती है।
किन बातों का रखें ध्यान?
पत्नी के नाम रजिस्ट्री कराने से पहले इन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
- महिला को आयकर में फायदा तभी मिलेगा जब वह खुद लोन की किश्तें चुकाए।
- अगर घर की पूरी रकम पति ने दी है, तो कानूनी रूप से पत्नी को केवल नाममात्र का मालिकाना हक मिल सकता है, यह ‘बेनामी’ संपत्ति की श्रेणी में आ सकती है।
- किसी भी रियायत का लाभ लेने से पहले राज्य की नीति और पात्रता शर्तें जांच लें।
यह भी देखें: PM Kisan की 20वीं किस्त से पहले नहीं किया ये काम, तो अटक सकती है आपकी अगली ₹2000 की रकम
सरकार की नीतियों का उद्देश्य
महिलाओं को संपत्ति में भागीदार बनाना सरकार की नीतियों का अहम हिस्सा है। इससे वुमन एम्पावरमेंट (Women Empowerment) को बल मिलता है। गांवों में भी महिलाओं के नाम भूमि और घर की रजिस्ट्री कराने के लिए सरकारें सब्सिडी और स्कीमों की घोषणा कर रही हैं।
सरकार का यह प्रयास है कि महिलाएं केवल परिवार की ज़िम्मेदारी तक सीमित न रहें, बल्कि संपत्ति की मालकिन बनें और आर्थिक निर्णयों में हिस्सेदार बनें।