बुजुर्ग महिलाओं की पेंशन फंसी सिर्फ एक डॉक्युमेंट के कारण! जानिए जीवन प्रमाण पत्र का आवेदन कैसे करें

देशभर में लाखों बुजुर्ग महिलाओं की पेंशन सिर्फ एक जरूरी डॉक्युमेंट – जीवन प्रमाण पत्र – जमा न करने की वजह से अटक गई है। क्या आपको पता है ये दस्तावेज कैसे बनता है? अगर नहीं, तो आपकी पेंशन भी रुक सकती है! जानिए पूरी प्रक्रिया, आम गलतियां और इससे बचने का आसान तरीका

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बुजुर्ग महिलाओं की पेंशन फंसी सिर्फ एक डॉक्युमेंट के कारण! जानिए जीवन प्रमाण पत्र का आवेदन कैसे करें
बुजुर्ग महिलाओं की पेंशन फंसी सिर्फ एक डॉक्युमेंट के कारण! जानिए जीवन प्रमाण पत्र का आवेदन कैसे करें

देश में लाखों बुजुर्ग महिलाएं हर महीने मिलने वाली पेंशन (Pension) पर निर्भर रहती हैं। यह उनके जीवनयापन का एक महत्वपूर्ण साधन है। लेकिन हाल ही में यह सामने आया है कि कई बुजुर्ग महिलाओं की पेंशन सिर्फ एक जरूरी डॉक्युमेंट, जीवन प्रमाण पत्र (Jeevan Pramaan Patra) के अभाव में अटक गई है। कई जगहों पर पेंशन वितरण एजेंसियों ने जीवन प्रमाण पत्र जमा न होने के कारण भुगतान रोक दिया है, जिससे इन महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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सरकार द्वारा संचालित पेंशन योजनाओं में जीवन प्रमाण पत्र का समय पर जमा होना अनिवार्य होता है। यह प्रमाणपत्र यह दर्शाता है कि संबंधित पेंशनभोगी जीवित हैं और उन्हें पेंशन मिलती रहनी चाहिए। इसका मुख्य उद्देश्य फर्जी क्लेम्स को रोकना और सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकना है। लेकिन तकनीकी जानकारी की कमी, डिजिटल सुविधा का अभाव और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते कई बुजुर्ग महिलाएं समय पर यह प्रमाण पत्र जमा नहीं कर पातीं।

जीवन प्रमाण पत्र क्यों है जरूरी?

जीवन प्रमाण पत्र एक डिजिटल अथवा भौतिक दस्तावेज होता है, जिसे प्रत्येक पेंशनभोगी को साल में एक बार जमा करना होता है। यह प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करता है कि पेंशन का लाभ सही व्यक्ति को मिल रहा है और वह अभी भी जीवित है।

केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया पहल के तहत जीवन प्रमाण (Jeevan Pramaan) नाम की एक डिजिटल सेवा शुरू की है, जिससे पेंशनभोगी घर बैठे भी प्रमाण पत्र बना सकते हैं। लेकिन जानकारी के अभाव और तकनीकी साधनों की कमी के चलते गांव-देहात और छोटे शहरों में रहने वाली बुजुर्ग महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिल पाता।

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जीवन प्रमाण पत्र कैसे बनवाएं?

जीवन प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पेंशनभोगी के पास आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और पेंशन पेमेंट ऑर्डर (PPO) नंबर होना चाहिए। इसे दो तरीके से बनवाया जा सकता है:

डिजिटली (Jeevan Pramaan App से)

  • पेंशनभोगी Google Play Store से Jeevan Pramaan ऐप डाउनलोड कर सकते हैं।
  • ऐप में रजिस्ट्रेशन के बाद आधार वेरिफिकेशन और बायोमेट्रिक (फिंगरप्रिंट या आईरिस) से प्रमाण पत्र जनरेट किया जाता है।
  • प्रमाणपत्र जनरेट होने के बाद उसे पेंशन वितरण एजेंसी को स्वतः भेज दिया जाता है।

फिजिकल तरीके से

  • नजदीकी बैंक ब्रांच, कॉमन सर्विस सेंटर (CSC), या डाकघर जाकर जीवन प्रमाण पत्र जनरेट करवाया जा सकता है।
  • वहां बायोमेट्रिक डिवाइस के माध्यम से फिंगरप्रिंट लिया जाता है और सिस्टम में फीड किया जाता है।
  • इसके बाद प्रमाणपत्र तैयार कर संबंधित पेंशन एजेंसी को भेजा जाता है।

डिजिटल प्रक्रिया में बुजुर्ग महिलाओं को क्यों हो रही है दिक्कत?

कई बुजुर्ग महिलाओं के पास स्मार्टफोन नहीं होते या उन्हें डिजिटल ऐप्स चलाने की जानकारी नहीं होती। इसके अलावा कुछ इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी भारी समस्या है। कुछ बुजुर्गों की उंगलियों के निशान स्पष्ट नहीं होते, जिससे बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन फेल हो जाता है।

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इन्हीं कारणों से लाखों महिलाएं जीवन प्रमाण पत्र समय पर नहीं बनवा पातीं, जिससे उनकी पेंशन रुक जाती है। ऐसी स्थिति में प्रशासन या स्थानीय अधिकारियों की मदद बेहद जरूरी हो जाती है।

सरकार और स्थानीय निकाय क्या कर सकते हैं?

सरकार को चाहिए कि वह बुजुर्गों के लिए मोबाइल यूनिट या विशेष शिविर लगाए, जहां अधिकारी खुद जाकर जीवन प्रमाण पत्र जनरेट करें। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में CSC केंद्रों की संख्या बढ़ानी चाहिए और वहां के कर्मचारियों को बुजुर्गों के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

साथ ही पेंशन की प्रक्रिया को सरल और लचीला बनाकर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि तकनीकी या शारीरिक कारणों से कोई भी पात्र व्यक्ति पेंशन से वंचित न रह जाए।

जीवन प्रमाण पत्र जमा न करने पर क्या होता है?

अगर कोई पेंशनभोगी तय समय सीमा (आमतौर पर नवंबर से दिसंबर के बीच) में जीवन प्रमाण पत्र जमा नहीं करता, तो उसकी पेंशन रोक दी जाती है। कई बार महीनों तक पेंशन रुकी रहती है जब तक कि प्रमाण पत्र जमा न हो जाए।

इसके बाद प्रमाणपत्र जमा करने के बाद पेंशन दोबारा शुरू की जाती है, लेकिन पहले की पेंशन तुरंत नहीं मिलती। कई बार यह प्रक्रिया लंबी हो जाती है जिससे बुजुर्गों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ती है।

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