
आज के डिजिटल युग में जहां सरकार द्वारा विभिन्न सेवाओं के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है, वहीं फेक आधार कार्ड के जरिए ठगी के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। यह धोखाधड़ी न सिर्फ आम नागरिकों को निशाना बना रही है बल्कि मकान मालिकों और व्यवसायियों के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है। किराएदारों और कर्मचारियों के जरिए होने वाली इस तरह की धोखाधड़ी अब एक आम समस्या बनती जा रही है।
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कैसे हो रही है फेक आधार कार्ड के जरिए ठगी?
आजकल ऑनलाइन सॉफ्टवेयर और ऐप्स की मदद से कोई भी आसानी से फेक आधार कार्ड तैयार कर सकता है। इसमें किसी दूसरे व्यक्ति की जानकारी का इस्तेमाल कर उसकी पहचान को चुराना या पूरी तरह नया फर्जी प्रोफ़ाइल बनाना शामिल होता है। ये कार्ड देखने में बिल्कुल असली जैसे लगते हैं, जिससे आम आदमी को इनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है।
इन फर्जी दस्तावेजों की मदद से धोखेबाज़ किराए पर घर लेकर आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं या किसी कंपनी में नौकरी लेकर वित्तीय नुकसान पहुंचा सकते हैं। कई मामलों में फर्जी आधार कार्ड के जरिए बैंकों से लोन तक ले लिए गए हैं।
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पुलिस वेरिफिकेशन से क्यों बचते हैं अपराधी?
अधिकांश मामलों में ये देखा गया है कि जिन लोगों के पास फेक आधार कार्ड होता है, वे जानबूझकर पुलिस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से बचते हैं। मकान मालिक या कंपनी जब दस्तावेज मांगते हैं, तब ये लोग या तो हड़बड़ी दिखाते हैं या फिर कोई बहाना बनाकर जल्दी से जगह हासिल करना चाहते हैं।
कई बार लोग झूठा नाम-पता और पहचान पत्र दिखाकर दूसरों की पहचान का दुरुपयोग करते हैं और आपराधिक कृत्य कर फरार हो जाते हैं। ऐसे में असली परेशानी उस व्यक्ति को झेलनी पड़ती है जिसने उन्हें किराए पर घर या नौकरी दी थी।
किराएदारों और कर्मचारियों की सत्यता जांच क्यों है जरूरी?
फेक आधार कार्ड का सबसे अधिक दुरुपयोग उन्हीं मामलों में होता है जहां व्यक्ति की पहचान की ठीक से जांच नहीं की गई हो।
मकान मालिकों को चाहिए कि वे हर किराएदार का न सिर्फ आधार कार्ड मांगें, बल्कि उसके आधार नंबर को UIDAI की वेबसाइट या mAadhaar ऐप के जरिए वेरिफाई भी करें। इसके अलावा किराए पर देने से पहले स्थानीय थाने में जाकर किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना अनिवार्य हो।
इसी तरह कंपनियों और संस्थानों को भी अपने कर्मचारियों की वैरिफिकेशन प्रक्रिया को गंभीरता से लेना चाहिए।
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कैसे करें आधार कार्ड की वैरिफिकेशन?
- UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट (https://uidai.gov.in/) पर जाएं
- ‘Aadhaar Services’ सेक्शन में ‘Verify Aadhaar Number’ विकल्प चुनें
- वहां आधार नंबर दर्ज करें और कैप्चा कोड भरें
- अगर आधार असली है तो उसकी जानकारी दिख जाएगी, फर्जी होने पर वैलिडेशन फेल हो जाएगा
बढ़ते मामलों से चिंतित हैं एजेंसियां
NCRB (National Crime Records Bureau) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में फर्जी पहचान पत्र से जुड़े अपराधों में 25% की वृद्धि दर्ज की गई है। इसमें से एक बड़ा हिस्सा फर्जी आधार कार्ड के माध्यम से हुई ठगी का है।
सरकार भी इस दिशा में कदम उठा रही है और UIDAI द्वारा आधार वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए नए कदम उठाए जा रहे हैं।
क्या मकान मालिक और नियोक्ता भी हो सकते हैं कानूनी कार्रवाई के शिकार?
अगर कोई व्यक्ति बिना उचित वेरिफिकेशन के किसी फर्जी पहचान वाले व्यक्ति को नौकरी देता है या मकान किराए पर देता है, और वह व्यक्ति कोई अपराध करता है, तो पुलिस जांच के दौरान मकान मालिक या नियोक्ता से भी सवाल किए जा सकते हैं।
हालांकि अगर उन्होंने किराएदार या कर्मचारी का पूरा वेरिफिकेशन कराया हो, तो वे जिम्मेदार नहीं माने जाएंगे। इसलिए कानून की नजर में सुरक्षित रहने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन और आधार सत्यापन बेहद जरूरी हो जाता है।
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सतर्कता ही है सबसे बड़ा बचाव
फेक आधार कार्ड के जरिए होने वाली ठगी से बचने का एकमात्र उपाय है सतर्कता।
- किसी भी व्यक्ति को केवल आधार कार्ड के आधार पर पहचान सत्यापित न करें
- हमेशा आधार नंबर को UIDAI के पोर्टल से वेरिफाई करें
- किराएदार या कर्मचारी की जानकारी पुलिस थाने में जरूर जमा करें
- ज़रूरत पड़े तो पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट जैसे अन्य दस्तावेजों की भी जांच करें
फेक डॉक्यूमेंट की पहचान तकनीकी रूप से कठिन जरूर है, लेकिन सरकारी टूल्स की मदद से संभव है। समय रहते सतर्कता बरती जाए तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता है।