Income Tax Rules 2025: रिटर्न फाइल करने से पहले बदल गए हैं ये नियम

2025 में इनकम टैक्स फाइल करने के नियमों में आया बड़ा बदलाव, अब ₹1.25 लाख LTCG पर ITR-1 चलेगा, नई टैक्स व्यवस्था बनी डिफ़ॉल्ट और TDS रिपोर्टिंग में सख्ती! जानिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले कौन-कौन से नियम आपको तुरंत समझने चाहिए।

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अगर आप वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की योजना बना रहे हैं, तो Income Tax Rules 2025 के कुछ अहम बदलाव जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। इस साल आयकर विभाग ने आईटीआर फॉर्म्स में कई अपडेट किए हैं, जो आपकी टैक्स प्लानिंग को सीधे प्रभावित कर सकते हैं। खासतौर पर ITR फॉर्म्स, LTCG, TDS, और टैक्स स्लैब को लेकर नई गाइडलाइंस जारी हुई हैं।

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ITR फॉर्म्स में हुए अहम बदलाव

Income Tax Department ने इस बार सभी सात ITR फॉर्म्स (ITR-1 से ITR-7) को पहले ही अधिसूचित कर दिया है, जिससे करदाताओं को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

ITR-1 और ITR-4 अब ज्यादा लोगों के लिए उपलब्ध

अब वे करदाता जिनकी लिस्टेड शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) ₹1.25 लाख तक है, वे भी ITR-1 या ITR-4 फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो पहले संभव नहीं था।

नई टैक्स व्यवस्था बनी डिफ़ॉल्ट

नई टैक्स व्यवस्था अब डिफ़ॉल्ट रूप में लागू कर दी गई है, यानी अगर आप कोई विकल्प नहीं चुनते हैं, तो आपकी टैक्स कैलकुलेशन नई व्यवस्था के आधार पर ही होगी। हालांकि, करदाता अगर चाहें तो पुरानी टैक्स व्यवस्था को भी चुन सकते हैं।

स्टैंडर्ड डिडक्शन और टैक्स छूट में राहत

बजट 2024 के बाद नई टैक्स व्यवस्था के तहत ₹12 लाख तक की इनकम पर अब कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दी गई है।

कैपिटल गेन रिपोर्टिंग में सख्ती

इस साल कैपिटल गेन रिपोर्टिंग के नियम भी बदले गए हैं। अब ITR-2, 3, 5, 6 और 7 में कैपिटल गेन को इस आधार पर वर्गीकृत करना होगा कि वह 23 जुलाई 2024 से पहले या बाद में हुआ था।

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रियल एस्टेट पर अलग टैक्स स्लैब

यह नया वर्गीकरण इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि रियल एस्टेट से जुड़े लॉन्ग टर्म गेन पर अब 12.5 प्रतिशत की नई टैक्स दर लागू की गई है।

आधार एनरोलमेंट ID अब नहीं चलेगा

अगर आपने अब तक आधार-Aadhaar को पैन-PAN से लिंक नहीं किया है या आपके पास केवल आधार एनरोलमेंट ID है, तो ध्यान दें कि अब एनरोलमेंट ID मान्य नहीं है। यानी केवल वैध आधार नंबर ही अब टैक्स फाइलिंग और पैन आवेदन के लिए मान्य होगा।

विदेशी दान पर विशेष निगरानी

राजनीतिक दलों, विश्वविद्यालयों, चैरिटेबल ट्रस्ट्स और अन्य संस्थानों के लिए ITR-7 में भी महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब उन्हें विदेशी फंडिंग और उसके उपयोग की पूरी जानकारी देनी होगी।

टीडीएस सेक्शन का स्पष्ट उल्लेख जरूरी

ITR-1, 2, 3 और 5 फॉर्म्स में एक और जरूरी बदलाव यह है कि आपको उस टैक्स सेक्शन का उल्लेख भी करना होगा जिसके अंतर्गत आपकी आय पर टीडीएस-TDS काटा गया है।

रिटर्न फाइलिंग के दौरान टैक्स व्यवस्था बदल सकते हैं

सबसे अच्छी बात यह है कि अब वेतनभोगी कर्मचारी रिटर्न फाइल करते समय टैक्स व्यवस्था बदल सकते हैं, भले ही उन्होंने साल की शुरुआत में कोई और विकल्प चुना हो।

जरूरी तिथियों का ध्यान रखें

टैक्स रिटर्न फाइलिंग की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 तय की गई है, जबकि फॉर्म 16 प्राप्त करने की आखिरी तारीख 15 जून 2025 है। इसलिए यह जरूरी है कि आप समय रहते सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स तैयार रखें।

टैक्स फाइलिंग से पहले इन बातों का रखें ध्यान

इन सभी बदलावों के चलते करदाताओं को ITR फाइलिंग से पहले अपनी टैक्स योजना का रिव्यू जरूर करना चाहिए। चाहे आप सैलरी क्लास में आते हों या स्वतंत्र पेशेवर हों, यह समय सही टैक्स फॉर्म चुनने और अपने रिटर्न को सही-सही दाखिल करने का है।

स्मार्ट टैक्स प्लानिंग का समय

अगर आपकी आय में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन, गिफ्ट इनकम, या विदेशी फंडिंग शामिल है, तो यह और भी जरूरी हो जाता है कि आप अपडेटेड नियमों के अनुसार ही अपनी टैक्स रिपोर्टिंग करें।

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