Air Defence System क्या होता है? जानिए वो तकनीक जो एक सेकंड में दुश्मनों के फाइटर जेट गिरा दे!

एयर डिफेंस सिस्टम एक हाई-टेक सैन्य तकनीक है जो रडार और मिसाइल की मदद से दुश्मन के हवाई हमलों को सेकंडों में नष्ट कर देता है। भारत अब S-400 जैसी आधुनिक प्रणालियों से न केवल रक्षा कर रहा है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार भी कर रहा है।

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Air Defence System क्या होता है? जानिए वो तकनीक जो एक सेकंड में दुश्मनों के फाइटर जेट गिरा दे!

एयर डिफेंस सिस्टम-Air Defence System एक आधुनिक और जटिल सैन्य तकनीक है, जिसका प्रमुख उद्देश्य किसी देश की वायुसीमा की सुरक्षा करना होता है। जब भी दुश्मन देश की सीमा में घुसपैठ करता है—चाहे वो फाइटर जेट हो, ड्रोन हो, या बैलिस्टिक मिसाइल—तो एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय हो जाता है और चंद सेकंड में प्रतिक्रिया देकर उस खतरे को नष्ट कर देता है। हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के दौरान भारत ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का सफलतापूर्वक उपयोग कर यह साबित कर दिया कि उसकी सुरक्षा क्षमता अब किसी भी आधुनिक तकनीकी चुनौती का जवाब देने में सक्षम है।

यह सिस्टम रडार, मिसाइल, ट्रैकिंग सेंसर्स और कंट्रोल रूम जैसे तकनीकी नेटवर्क का मिश्रण होता है, जो रियल टाइम में दुश्मन की गतिविधियों का पता लगाता है और खतरे को खत्म करता है। भारत जैसे देश, जो दो मोर्चों पर खतरों का सामना करता है—चीन और पाकिस्तान से—के लिए यह तकनीक न केवल जरूरी है बल्कि सामरिक मजबूती का स्तंभ भी है।

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एयर डिफेंस सिस्टम कैसे काम करता है?

जब कोई दुश्मन फाइटर जेट या मिसाइल वायुसीमा की ओर बढ़ती है, तो एयर डिफेंस सिस्टम का पहला चरण एक्टिव होता है—रडार डिटेक्शन। भारत के पास Swordfish और LRTR जैसे उन्नत रडार हैं, जो 600 किलोमीटर दूर से भी खतरे को पहचान सकते हैं। जैसे ही टारगेट की स्थिति, गति और ऊंचाई की जानकारी मिलती है, ट्रैकिंग सिस्टम उसे फॉलो करता है। अगला चरण फायर कमांड का होता है, जहां मिसाइल सिस्टम सक्रिय हो जाता है। ये मिसाइलें अत्यधिक सटीकता के साथ लक्ष्य को निशाना बनाकर सेकंडों में उसे हवा में खत्म कर देती हैं। यही वजह है कि इसे “एक सेकंड में फाइटर जेट गिराने वाली तकनीक” कहा जाता है।

भारत के प्रमुख एयर डिफेंस सिस्टम

भारत ने बीते वर्षों में कई प्रकार के एयर डिफेंस सिस्टम विकसित और खरीदे हैं। इनमें से सबसे चर्चित है रूस से खरीदा गया S-400 Triumph, जिसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर तक है। यह सिस्टम किसी भी हवाई लक्ष्य को पहचान कर उसे एक साथ कई दिशाओं से ट्रैक और नष्ट कर सकता है। मई 2025 में पाकिस्तान की ओर से हुए हवाई अतिक्रमण के समय भारत ने पहली बार इस सिस्टम का ऑपरेशन में प्रयोग करते हुए F-16 और JF-17 जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स को सफलतापूर्वक मार गिराया।

इसके अलावा, आकाश मिसाइल सिस्टम भारत में ही विकसित किया गया है और यह मध्यम दूरी के हवाई खतरों से निपटने के लिए काफी कारगर है। SPYDER सिस्टम जो इज़राइल से लिया गया है, कम ऊंचाई और नजदीकी हवाई लक्ष्यों पर सटीक हमला करने में सक्षम है। वहीं, SAMAR सिस्टम भारतीय वायुसेना की खुद की पहल है, जिसमें पुराने एयर-टू-एयर मिसाइलों को सतह से हवा में मार करने वाले हथियार में बदला गया है। भविष्य के लिए भारत VSHORADS यानी Very Short Range Air Defence System पर भी तेज़ी से काम कर रहा है, ताकि कम ऊंचाई वाले खतरों से रक्षा को और मज़बूत किया जा सके।

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एयर डिफेंस तकनीक में भारत की प्रगति

भारत अब न केवल एयर डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है, बल्कि उसे स्वदेशी रूप से विकसित करने पर भी जोर दे रहा है। DRDO ने भारत के लिए एक मल्टी-लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क पर काम शुरू किया है जिसमें लॉन्ग, मीडियम और शॉर्ट रेंज मिसाइल सिस्टम्स एक साथ काम करेंगे। इसका उद्देश्य यह है कि अगर एक मिसाइल बच भी जाए तो अगली परत उसे रोक सके। इसी वजह से भारत की रणनीति केवल प्रतिकार नहीं, बल्कि पूरी सुरक्षा कवच की है।

S-400 के बाद भारत अब अपनी SRSAM (Short Range Surface to Air Missile) प्रणाली पर भी ध्यान दे रहा है, जो रक्षा के लिए तेज और सटीक विकल्प साबित हो सकती है। साथ ही, अंतरिक्ष से आने वाले खतरों के लिए भी भारत एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल विकसित कर चुका है, जो यह दिखाता है कि भारत भविष्य के युद्ध की तकनीक में पीछे नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में भारत की स्थिति

S-400 की डिप्लॉयमेंट के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास हाई-एंड मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम है। अमेरिका, रूस, इज़राइल और चीन पहले से इस श्रेणी में अग्रणी माने जाते हैं, लेकिन भारत की हालिया क्षमताएं इसे समान पंक्ति में खड़ा करती हैं। भारत की यह तकनीकी क्षमता केवल सैन्य रक्षा ही नहीं बल्कि रणनीतिक कूटनीति का भी हथियार बन गई है। उदाहरण के तौर पर, S-400 सिस्टम की डिप्लॉयमेंट के चलते चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की हवाई रणनीति में बदलाव देखा गया है।

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एयर डिफेंस सिस्टम का भविष्य

आने वाले वर्षों में एयर डिफेंस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-AI, मशीन लर्निंग और क्वांटम रडार जैसे एडवांस फीचर्स शामिल किए जाएंगे। इससे यह तकनीक और भी ज्यादा सटीक, तेज और प्रभावी हो जाएगी। भारत की रक्षा नीतियों में यह तकनीक एक स्थायी और अनिवार्य हिस्सा बनती जा रही है। साथ ही, देश की आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को देखते हुए इसे स्वदेशी स्तर पर विकसित करना भी सर्वोपरि है।

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