Insurance Policy Change: इंश्योरेंस धारकों के लिए बड़ी खबर! नए नियम से बदल जाएगी आपकी पॉलिसी की पूरी तस्वीर

IRDAI ने इंश्योरेंस सेक्टर में लाया सबसे बड़ा बदलाव! अब पॉलिसी रिन्यूअल, प्रीमियम कटौती, हेल्थ कवर, और टर्म प्लान्स में मिलेंगी ऐसी सुविधाएं जो पहले कभी नहीं मिलीं। अगर आपके पास कोई भी बीमा पॉलिसी है तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। हर बीमाधारक को जाननी चाहिए ये नई शर्तें

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Insurance Policy Change: इंश्योरेंस धारकों के लिए बड़ी खबर! नए नियम से बदल जाएगी आपकी पॉलिसी की पूरी तस्वीर
Insurance Policy Change: इंश्योरेंस धारकों के लिए बड़ी खबर! नए नियम से बदल जाएगी आपकी पॉलिसी की पूरी तस्वीर

भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने 2025 में बीमा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा और बीमा उत्पादों की पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू किए गए हैं। इन नए नियमों के तहत जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियों में कई संशोधन किए गए हैं, जो पॉलिसीधारकों के लिए लाभकारी साबित होंगे।

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जीवन बीमा में महत्वपूर्ण बदलाव

पॉलिसी पुनर्जीवन की अवधि में विस्तार

  • अब यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (ULIPs) को तीन वर्षों के भीतर और नॉन-लिंक्ड पॉलिसियों को पांच वर्षों के भीतर पुनर्जीवित किया जा सकता है। पहले यह अवधि क्रमशः दो और तीन वर्ष थी। इसके अलावा, बीमाकर्ताओं को पॉलिसी के लैप्स होने के तीन महीने के भीतर पॉलिसीधारकों को सूचित करना अनिवार्य होगा।

प्रीमियम भुगतान में लचीलापन

  • पांचवें पॉलिसी वर्ष के बाद, पॉलिसीधारक प्रीमियम को 50% तक कम कर सकते हैं, जिससे आर्थिक कठिनाइयों के समय में भी बीमा पॉलिसी को चालू रखा जा सकेगा।

ULIP कवर में संशोधन

  • ULIP योजनाओं में न्यूनतम कवर को वार्षिक प्रीमियम के 10 गुना से घटाकर 7 गुना कर दिया गया है। हालांकि, आयकर अधिनियम की धारा 80C और 10(10D) के तहत कर लाभ प्राप्त करने के लिए, कवर को प्रीमियम के 10 गुना बनाए रखना आवश्यक है।

स्वास्थ्य बीमा में नए दिशानिर्देश

प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज (PED) की परिभाषा में बदलाव

  • अब प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज की परिभाषा को पॉलिसी शुरू होने से पहले के तीन वर्षों तक सीमित कर दिया गया है, जो पहले चार वर्ष थी। इससे पॉलिसीधारकों को पहले से मौजूद बीमारियों के लिए जल्दी कवरेज प्राप्त होगा।

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प्रीमियम स्थिरता और किश्तों में भुगतान

  • एक बार प्रीमियम तय हो जाने के बाद, पॉलिसी अवधि के दौरान उसमें कोई वृद्धि नहीं की जा सकती। इसके अलावा, बीमाकर्ता अब प्रीमियम का भुगतान किश्तों में स्वीकार कर सकते हैं, जिससे पॉलिसीधारकों को वित्तीय प्रबंधन में सुविधा होगी।

आयु सीमा में लचीलापन

  • अब बीमाकर्ताओं को कम से कम एक ऐसी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी प्रदान करनी होगी, जिसमें प्रवेश की कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं होगी, जिससे वरिष्ठ नागरिकों को भी बीमा कवरेज प्राप्त हो सकेगा।

प्रतीक्षा अवधि में संशोधन

  • प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज और विशिष्ट बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि को अधिकतम तीन वर्षों तक सीमित कर दिया गया है, जिससे पॉलिसीधारकों को जल्दी लाभ प्राप्त होगा।

मोराटोरियम अवधि में कमी

  • मोराटोरियम अवधि को आठ वर्षों से घटाकर पांच वर्ष कर दिया गया है। इस अवधि के बाद, बीमाकर्ता केवल धोखाधड़ी के मामलों में ही दावों को अस्वीकार कर सकते हैं।

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पॉलिसी पोर्टेबिलिटी में सुधार

अब पॉलिसीधारक अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को एक बीमाकर्ता से दूसरे बीमाकर्ता में स्थानांतरित कर सकते हैं, बिना किसी लाभ की हानि के। यह सुविधा सभी इंडेम्निटी-आधारित स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर लागू होती है।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम वृद्धि की सीमा

  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम में वृद्धि को नवीनीकरण के समय अधिकतम 10% तक सीमित कर दिया गया है। इससे उन्हें वित्तीय राहत मिलेगी और बीमा कवरेज बनाए रखना आसान होगा।

टर्म इंश्योरेंस में नए प्रावधान

राइडर्स के लिए प्रीमियम स्थिरता

  • अब राइडर्स के लिए एक बार तय किया गया प्रीमियम पूरी पॉलिसी अवधि के लिए स्थिर रहेगा, जिससे पॉलिसीधारकों को भविष्य की वित्तीय योजनाओं में मदद मिलेगी।

सरेंडर वैल्यू की गणना में सुधार

  • लिमिटेड-पे टर्म प्लान्स के लिए सरेंडर वैल्यू की गणना में सुधार किया गया है, जिससे पॉलिसीधारकों को पॉलिसी छोड़ने पर अधिक लाभ मिलेगा।

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कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट (CIS)

  • अब जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए भी CIS अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे पॉलिसीधारकों को पॉलिसी की शर्तों और नियमों की स्पष्ट जानकारी मिलेगी।

फ्री लुक पीरियड में एकरूपता

  • अब सभी टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियों के लिए फ्री लुक पीरियड 30 दिन कर दिया गया है, चाहे पॉलिसी ऑनलाइन खरीदी गई हो या ऑफलाइन।

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