सेना ने BPET, PPT और Route March जैसे फिजिकल टेस्ट में किए बड़े बदलाव, जानिए क्या होंगे नए मानक Indian Army Physical Test Update

भारतीय सेना ने अपने फिजिकल टेस्ट सिस्टम में बड़ा बदलाव करते हुए BPET, PPT और Route March को और कठिन बना दिया है। अब हर जवान को तेज दौड़, रस्सी चढ़ाई और तैराकी जैसी चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं से गुजरना होगा। जानिए नए नियम क्या हैं, और कैसे ये बदलाव सेना की ताकत को अगले स्तर तक ले जाएंगे।

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सेना ने BPET, PPT और Route March जैसे फिजिकल टेस्ट में किए बड़े बदलाव, जानिए क्या होंगे नए मानक Indian Army Physical Test Update
सेना ने BPET, PPT और Route March जैसे फिजिकल टेस्ट में किए बड़े बदलाव, जानिए क्या होंगे नए मानक Indian Army Physical Test Update

भारतीय सेना ने हाल ही में अपने फिजिकल टेस्ट-Physical Test मानकों में अहम बदलाव किए हैं, जो सेना में अधिकारियों की गिरती शारीरिक क्षमता और बढ़ती जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की चिंता के बीच उठाया गया एक निर्णायक कदम है। यह बदलाव Battle Physical Efficiency Test (BPET), Physical Proficiency Test (PPT) और Route March जैसे महत्वपूर्ण परीक्षणों को अधिक कठोर और प्रभावशाली बनाने की दिशा में उठाया गया है, जिससे सैनिकों की युद्ध तत्परता और फिटनेस उच्चतम स्तर पर बनी रहे।

नया (BPET): त्रैमासिक आधार पर फिटनेस की सख्त जांच

BPET अब त्रैमासिक रूप से आयोजित किया जाएगा और इसमें शारीरिक दक्षता के ऐसे तत्व शामिल किए गए हैं जो युद्ध के मैदान में वास्तविक हालात से मेल खाते हैं। इस परीक्षण में 5 किलोमीटर की दौड़, 60 मीटर की तीव्र स्प्रिंट, क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रस्सी चढ़ाई, और 9 फीट गहरी खाई पार करना शामिल है। इन गतिविधियों का उद्देश्य केवल ताकत और स्टैमिना की जांच करना नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि सैनिक किसी भी आपात स्थिति में त्वरित निर्णय लेकर तेजी से प्रतिक्रिया कर सकें।

Physical Proficiency Test (PPT): संतुलित मजबूती और सहनशक्ति का मूल्यांकन

PPT भी अब त्रैमासिक आधार पर लिया जाएगा, जिसमें 2.4 किलोमीटर की दौड़, 5 मीटर शटल रन, पुश-अप्स, चिन-अप्स, सिट-अप्स और 100 मीटर स्प्रिंट शामिल हैं। इस टेस्ट का मकसद सैनिकों की विविध शारीरिक क्षमताओं जैसे त्वरित गति, कोर शक्ति, धैर्य और संतुलन का मूल्यांकन करना है। खास बात यह है कि इन सभी परीक्षणों को नियमित अंतराल पर कराने से सेना के अधिकारी अपनी दैनिक दिनचर्या में फिटनेस को प्राथमिकता देने लगेंगे।

अर्धवार्षिक और वार्षिक विशेष परीक्षण: सैनिकों की युद्ध क्षमता की गहराई से जांच

भारतीय सेना ने अतिरिक्त परीक्षणों को भी अपने नए फिटनेस प्रोटोकॉल में शामिल किया है। इनमें 10 किलोमीटर की स्पीड मार्च और 32 किलोमीटर की Route March अर्धवार्षिक आधार पर आयोजित की जाएगी, जबकि 50 मीटर की Swimming Efficiency Test को वार्षिक रूप से संपन्न किया जाएगा, जहां पर सुविधाएं उपलब्ध हों। इन परीक्षणों का मुख्य उद्देश्य सैनिकों की युद्ध के दौरान लंबी दूरी तय करने, जल आधारित मिशनों में दक्षता और मानसिक मजबूती को आंकना है।

Army Physical Fitness Assessment Card (APAC): निगरानी और जवाबदेही का नया यंत्र

अब प्रत्येक अधिकारी को Army Physical Fitness Assessment Card (APAC) के माध्यम से अपनी फिटनेस रिपोर्ट दर्ज करनी होगी और यह कार्ड परीक्षण के 24 घंटे के भीतर जमा करना अनिवार्य होगा। यह कदम न केवल पारदर्शिता लाता है, बल्कि हर अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से अपनी शारीरिक स्थिति के प्रति उत्तरदायी भी बनाता है। सेना की यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही या गड़बड़ी की गुंजाइश न रह जाए।

निगरानी की प्रक्रिया में उच्च रैंक के अधिकारियों की भागीदारी

फिजिकल टेस्ट की प्रक्रिया को और अधिक सख्त व निष्पक्ष बनाने के लिए अब इनका निरीक्षण ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। इनके साथ दो कर्नल और एक मेडिकल ऑफिसर भी परीक्षण प्रक्रिया में भाग लेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि परीक्षणों में किसी भी प्रकार की पक्षपातपूर्ण या ढीली प्रक्रिया को पूरी तरह रोका जा सके और हर सैनिक को समान अवसर मिले।

“ओवरवेट” अधिकारियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश

जो अधिकारी अपने BMI या अन्य मानकों के अनुसार “ओवरवेट” की श्रेणी में पाए जाते हैं, उन्हें 30 दिनों की सुधार अवधि दी जाएगी। इस दौरान उनकी छुट्टियों और प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में कटौती की जा सकती है। अगर अधिकारी इस समय सीमा में सुधार करने में विफल रहते हैं तो उनके विरुद्ध Army Regulation 15 और Army Act 22 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह कदम सेना में अनुशासन और स्वास्थ्य की महत्ता को रेखांकित करता है।

बदलावों के पीछे का उद्देश्य: फिट सेना, मजबूत राष्ट्र

इन सभी परिवर्तनों का उद्देश्य भारतीय सेना को शारीरिक और मानसिक रूप से और अधिक सक्षम बनाना है। बदलती जीवनशैली, बढ़ता मानसिक दबाव और बढ़ते रोगों के मद्देनजर यह अत्यंत आवश्यक हो गया था कि सेना अपने फिटनेस मानकों को समय के अनुसार अपडेट करे। यह पहल सेना की युद्ध तत्परता, अनुशासन और स्वास्थ्य के उच्चतम मानकों को बनाए रखने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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