
अगर बैंक बंद हो जाए, तो लोगों के मन में सबसे पहला सवाल यही उठता है कि क्या वे अपनी मेहनत की कमाई को वापस निकाल पाएंगे? भारत में बैंकिंग सिस्टम को लेकर कई बार अफवाहें फैलती हैं, जिससे आम नागरिक चिंतित हो जाते हैं। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसको लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं, जो हर बैंक खाता धारक को जानना चाहिए।
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भारत में बैंकिंग सेक्टर को नियंत्रित करने वाली संस्था RBI है। जब किसी बैंक की वित्तीय स्थिति खराब हो जाती है या वह दिवालिया होने की कगार पर पहुंच जाता है, तो RBI उसे ‘मॉरिटोरियम’ यानी संचालन पर अस्थायी रोक के तहत रख सकता है। इस दौरान खाताधारकों की निकासी पर एक सीमित रोक लगाई जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपका पैसा पूरी तरह डूब जाएगा।
क्या होता है RBI का ‘मॉरिटोरियम’?
जब किसी बैंक की वित्तीय स्थिति बेहद कमजोर हो जाती है और उसके संचालन में जोखिम बढ़ जाता है, तब RBI बैंक पर मॉरिटोरियम लगा सकता है। इसका उद्देश्य बैंक को नियंत्रण में लेना और सुधारात्मक कदम उठाना होता है ताकि जमाकर्ताओं की राशि को सुरक्षित रखा जा सके।
इस अवधि में खाताधारक बैंक से एक निश्चित राशि तक ही पैसे निकाल सकते हैं। आमतौर पर यह सीमा ₹25,000 से ₹5 लाख तक तय की जा सकती है, जो कि स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करती है।
कितने पैसे निकाल सकते हैं?
मॉरिटोरियम के तहत खाताधारकों के पैसे निकालने की सीमा तय कर दी जाती है। उदाहरण के तौर पर, 2020 में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) पर जब पाबंदी लगाई गई थी, तब शुरुआत में निकासी सीमा ₹1,000 तय की गई थी, जिसे बाद में बढ़ाकर ₹1 लाख कर दिया गया था।
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हाल ही में ऐसे ही मामलों में RBI ने ग्राहकों को उनके पैसे सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया और बाद में निकासी की सीमा भी धीरे-धीरे बढ़ा दी गई। इसका उद्देश्य ग्राहकों को घबराने से रोकना और बैंक के सुधार के लिए समय देना होता है।
जमा बीमा योजना – DICGC
अगर बैंक पूरी तरह से दिवालिया हो जाए और उसकी स्थिति सुधारने की संभावना न हो, तब भी खाताधारकों का पैसा पूरी तरह डूबता नहीं है। RBI के तहत आने वाली संस्था Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (DICGC) हर जमाकर्ता को अधिकतम ₹5 लाख तक का बीमा सुरक्षा देती है।
इस ₹5 लाख में आपकी सेविंग्स, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), करंट अकाउंट और RD यानी Recurring Deposit सभी प्रकार की जमाओं को शामिल किया जाता है। यानी अगर आपके किसी एक बैंक में कुल मिलाकर ₹5 लाख तक की जमा है, तो वह पूरी तरह सुरक्षित है, चाहे बैंक बंद क्यों न हो जाए।
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पैसा वापस कैसे मिलेगा?
अगर DICGC के तहत बीमा किया गया है, तो ₹5 लाख तक की राशि 90 दिनों के अंदर खाताधारकों को लौटा दी जाती है। इसके लिए RBI पहले उस बैंक को ‘असफल’ घोषित करता है, फिर DICGC बैंक से सभी खाताधारकों की सूची लेकर राशि का भुगतान करता है।
इसमें खाता धारक को किसी तरह की भाग-दौड़ करने की ज़रूरत नहीं होती। बैंक और बीमा कंपनी खुद मिलकर प्रक्रिया पूरी करते हैं और पैसा सीधे खाताधारक के नाम पर दिया जाता है।
क्या बैंक पूरी तरह से बंद हो सकते हैं?
हालांकि भारत में बैंकों के पूरी तरह से बंद होने की घटनाएं बहुत ही कम होती हैं, लेकिन को-ऑपरेटिव बैंकों (Co-operative Banks) की स्थिति कुछ मामलों में कमजोर रही है। ऐसे मामलों में भी RBI समय रहते हस्तक्षेप करता है और या तो बैंक को किसी अन्य मजबूत बैंक में मर्ज कर देता है या जमाकर्ताओं को राशि वापस दिलवाने की व्यवस्था करता है।
क्या सभी बैंक इस बीमा के दायरे में आते हैं?
हाँ, भारत में कार्यरत सभी कमर्शियल बैंक (Commercial Banks), पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के बैंक और सभी को-ऑपरेटिव बैंक DICGC बीमा के तहत आते हैं। यानी अगर आपने देश के किसी भी बैंक में ₹5 लाख तक की राशि जमा कर रखी है, तो वह बीमा सुरक्षा में आती है।
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ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
बैंक में पैसा जमा करने से पहले यह जरूर जांच लें कि वह बैंक RBI के मानदंडों के तहत संचालित हो रहा है या नहीं। साथ ही कोशिश करें कि एक ही बैंक में ₹5 लाख से अधिक राशि न रखें। इससे जोखिम कम हो जाएगा और आपको DICGC बीमा सुरक्षा का पूरा लाभ मिलेगा।
भविष्य में बैंकिंग जोखिम से कैसे बचें?
- अपना पैसा विभिन्न बैंकों में वितरित करें।
- छोटे और क्षेत्रीय बैंकों की स्थिति की जानकारी नियमित रूप से लेते रहें।
- FD या अन्य निवेशों को ₹5 लाख की सीमा के भीतर रखें।
- सरकारी बैंकों और बड़े प्राइवेट बैंकों को प्राथमिकता दें।