
भारत में 2014 के बाद से जासूसी गतिविधियों में भारी वृद्धि देखी गई है, जिसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका प्रमुख रही है। हाल के वर्षों में, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कई जासूसों को गिरफ्तार किया है जो विभिन्न पेशों से जुड़े थे, जैसे कि यूट्यूबर, व्यापारी, छात्र, और मजदूर। इन गिरफ्तारियों ने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
जासूसी के मामलों में वृद्धि
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2014 में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) के तहत दर्ज मामलों की संख्या 11 थी, जो 2022 में बढ़कर 55 हो गई। यह वृद्धि दर्शाती है कि जासूसी गतिविधियों में लगातार इजाफा हो रहा है, जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
हालिया गिरफ्तारियाँ और ऑपरेशन सिंदूर
2025 में, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से 11 पाकिस्तानी जासूसों को गिरफ्तार किया। इन जासूसों में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा, छात्र देवेंद्र सिंह ढिल्लन, और व्यापारी शहजाद शामिल हैं। ये सभी सोशल मीडिया, हनीट्रैप, और मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से ISI को संवेदनशील जानकारी प्रदान कर रहे थे।
ISI की रणनीति और हनीट्रैप
ISI ने भारतीय नागरिकों को जासूसी के लिए फंसाने के लिए हनीट्रैप और सोशल मीडिया का सहारा लिया। उदाहरण के लिए, वाराणसी से गिरफ्तार तुफैल ने फेसबुक के माध्यम से पाकिस्तान की एक महिला नफीसा से संपर्क किया था, जो पाकिस्तानी सेना में कार्यरत थी। तुफैल ने भारत के संवेदनशील स्थानों की तस्वीरें और जानकारी पाकिस्तान भेजी थी।
पाकिस्तानी उच्चायोग की भूमिका
दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के वीजा सेक्शन का उपयोग ISI ने जासूसी नेटवर्क स्थापित करने के लिए किया। वीजा अधिकारियों के रूप में कार्यरत ISI एजेंट्स ने भारतीय नागरिकों को SIM कार्ड प्रदान करने और संवेदनशील जानकारी एकत्रित करने के लिए मजबूर किया। 2016, 2020, और 2022 में दिल्ली पुलिस ने ऐसे कई मामलों का खुलासा किया।
गिरफ्तार जासूसों की सूची
- ज्योति मल्होत्रा – यूट्यूबर, हिसार, हरियाणा
- देवेंद्र सिंह ढिल्लन – छात्र, कैथल, हरियाणा
- शहजाद – व्यापारी, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
- तुफैल – वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- मोहम्मद हारून – कबाड़ी, दिल्ली
- पलक शेर मसीह और सूरज मसीह – पंजाब