Income Tax Rule Change: ये 5 टैक्स नियम पिछले साल बदले थे, इस बार ITR फाइल करते वक्त होगी जरूरत!

वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ITR फाइल करते समय आयकर नियमों में हुए इन 5 बदलावों को समझना बेहद जरूरी है। नया टैक्स सिस्टम अब डिफॉल्ट बन चुका है, टैक्स स्लैब बदले हैं और ITR फॉर्म्स में नई जानकारी की मांग की जा रही है। यह लेख आपको इन नियमों की पूरी जानकारी देगा, ताकि आप बिना गलती के रिटर्न फाइल कर सकें।

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ITR फाइल करने से पहले जान लें ये 5 बदले हुए टैक्स नियम!

Income Tax Rule Change का असर इस बार आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की प्रक्रिया पर साफ दिखाई देगा। पिछले साल यानी वित्तीय वर्ष 2023-24 (आकलन वर्ष 2024-25) में कई बड़े टैक्स रूल्स में बदलाव किए गए थे, जिनकी जानकारी न होना आपको भारी नुकसान में डाल सकता है। चाहे नया टैक्स सिस्टम हो या स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा, इस बार ITR फाइलिंग से पहले इन बदलावों की पूरी समझ जरूरी है।

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नया टैक्स सिस्टम अब बना डिफॉल्ट विकल्प

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सरकार ने नया टैक्स सिस्टम को डिफॉल्ट विकल्प के रूप में लागू कर दिया है। इसका मतलब ये है कि यदि आप पुराना टैक्स सिस्टम चुनना चाहते हैं, तो आपको इसे अलग से इनकम टैक्स पोर्टल पर चुनना होगा। खासतौर पर अगर आपकी आमदनी व्यवसाय या पेशेवर सेवा से है, तो फॉर्म 10-IEA की समय पर फाइलिंग अनिवार्य होगी। बिना इसे भरे, आपको नया टैक्स सिस्टम ही मान लिया जाएगा।

नया टैक्स स्लैब और ₹7 लाख तक की छूट

नए टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स स्लैब पूरी तरह से बदल गए हैं। अब ₹3 लाख तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा और ₹7 लाख तक की सालाना इनकम पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा, बशर्ते आप नया सिस्टम अपनाते हैं। टैक्स दरें अब 5% से शुरू होकर 30% तक जाती हैं, लेकिन यह ग्रेडेड और अधिक आसान हैं, जिससे मिडिल क्लास को राहत मिलती है।

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स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी से सीधी राहत

नया टैक्स सिस्टम पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन की अनुमति नहीं देता था, लेकिन अब इसे बदलते हुए ₹50,000 तक की standard deduction की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, परिवार पेंशन लेने वालों के लिए भी यह सीमा ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दी गई है। यह बदलाव सीधे सैलरीड और पेंशनभोगियों को राहत देने के लिए किया गया है।

ITR फॉर्म्स में नई जानकारी और रिपोर्टिंग स्ट्रक्चर

आयकर विभाग ने इस बार ITR-1 और ITR-4 फॉर्म्स में नए सेक्शन जोड़े हैं। विशेषकर सेक्शन 112A के अंतर्गत अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) की ₹1.25 लाख तक की सीमा को रिपोर्ट करना जरूरी होगा, अगर आपने शेयर या म्यूचुअल फंड से लाभ कमाया है और कोई अग्रेषित हानि नहीं है। इसके अलावा TDS डिटेल्स को भी अब सेक्शन के अनुसार देना जरूरी होगा, जिससे टैक्स कैलकुलेशन और ऑडिटिंग में पारदर्शिता बनी रहे।

कैपिटल गेन टैक्स में महत्वपूर्ण बदलाव

कैपिटल गेन टैक्स की दरों में भी पिछले साल बदलाव किया गया है। Short-Term Capital Gain (STCG) पर टैक्स अब 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। वहीं Long-Term Capital Gain (LTCG) के लिए भी टैक्स की दर को 12.5% किया गया है, और इसमें छूट की सीमा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.25 लाख कर दी गई है। ये बदलाव खासकर निवेशकों और शेयर बाजार में ट्रेड करने वालों को प्रभावित कर सकते हैं।

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